tag:blogger.com,1999:blog-7736130555916967745.post9132523057913167820..comments2024-03-10T11:27:05.515+05:30Comments on अभिव्यक्ति: "नीम की डाली "कहानीशोभना चौरेhttp://www.blogger.com/profile/03043712108344046108noreply@blogger.comBlogger28125tag:blogger.com,1999:blog-7736130555916967745.post-72975848659389767392010-08-29T18:14:18.534+05:302010-08-29T18:14:18.534+05:30शोभना जी
बहुत ही मार्मिक कहानी है।शोभना जी<br /><br />बहुत ही मार्मिक कहानी है।मथुरा कलौनीhttps://www.blogger.com/profile/08652709661569445696noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-7736130555916967745.post-45258502478953834942010-07-21T23:52:48.245+05:302010-07-21T23:52:48.245+05:30सच को बयान करती कहानी , दुखद किन्तु वास्तविकता को ...सच को बयान करती कहानी , दुखद किन्तु वास्तविकता को दर्शाता हुआ अंत।ZEALhttps://www.blogger.com/profile/04046257625059781313noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-7736130555916967745.post-24716852853764311412010-07-21T18:34:41.594+05:302010-07-21T18:34:41.594+05:30जैसे तैसे रात गुजारी सुबह उठकर नहा धोकर जैसे ही खि...जैसे तैसे रात गुजारी सुबह उठकर नहा धोकर जैसे ही खिड़की के बाहर देखा :वह नीम की डाली अपनी शाखा से उखड़गई थी और उसके हरे से पत्ते पीले पड़ गये थे .................<br />Rishton kee tutan, aapsi khatak aur dil mein chubte baaton ke teer kab dil ko chhalni kar jay, kah nahi sakta koi.<br />.....Kahani dil mein gahree utari aur ankhen shunya mein kho gayee...कविता रावत https://www.blogger.com/profile/17910538120058683581noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-7736130555916967745.post-9671896616187288002010-07-20T20:46:17.937+05:302010-07-20T20:46:17.937+05:30नीरज जी
टिप्पणी के लिए धन्यवाद |जो हम आसपास देखते ...नीरज जी<br />टिप्पणी के लिए धन्यवाद |जो हम आसपास देखते है अपनों के साथ घटते हुए वही हमारी कहानियों के पात्र बन जाते है |<br />अगर समय निकाल सके तो यह कहानी" आनन्द " भी पढ़े |लिंक ये है |<br /> http://shobhanaonline.blogspot.com/2009/09/blog-post_29.http://shobhanaonline.blogspot.com/2009/09/blog-post_30.<br />धन्यवादशोभना चौरेhttps://www.blogger.com/profile/03043712108344046108noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-7736130555916967745.post-62480758737650261702010-07-20T18:28:20.758+05:302010-07-20T18:28:20.758+05:30बहुत मार्मिक ... पीडियों की सोच का बदलाव .... नीम ...बहुत मार्मिक ... पीडियों की सोच का बदलाव .... नीम के पेड़ के माध्यम से बहुत कुछ कह गयी ये कहानी .....दिगम्बर नासवाhttps://www.blogger.com/profile/11793607017463281505noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-7736130555916967745.post-44782138354080205342010-07-20T18:19:54.652+05:302010-07-20T18:19:54.652+05:30हमारी कहानियों के बहु बेटे हमेशा ऐसे ही क्यूँ होते...हमारी कहानियों के बहु बेटे हमेशा ऐसे ही क्यूँ होते हैं? क्या अच्छे बहु बेटे होते ही नहीं? कहानी सच के करीब है लेकिन जिस आशा के साथ बहु के बारे में अच्छे विचार बनाये थे वो अंत आते आते टूट गयी...<br />नीरजनीरज गोस्वामीhttps://www.blogger.com/profile/07783169049273015154noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-7736130555916967745.post-64219123371119580542010-07-20T05:41:26.779+05:302010-07-20T05:41:26.779+05:30दिल को छू गयी सुमित्रा की कहानी.
सुमित्रा की तरह क...दिल को छू गयी सुमित्रा की कहानी.<br />सुमित्रा की तरह कितनी ही महिलाएं हैं ...शायद हर ब्याहता उतनी खुशनसीब नहीं होती की उसके हर शौक को पंख मिलें.शायद एक स्त्री की खूबियों को अगर उसके करीबी ही सराहें तो उसे कहीं बाहर से सराहना की आवश्यकता नहीं होती.लेकिन ऐसा नहीं होता ,काश ,मेहता जी ही उनके साथ होते,इस उम्र में अपनी आकान्शाओं को पूरा करने में वह किसी का समय या कहीं अपने कर्तव्य में कटोती नहीं कर रहीं .सच में रंगमंच ही तो है ये दुनिया..कितनी अलग थलग हो गयी सुमित्रा ..मन में यह अहसास ही कसक दे गया.फिर यही कहती हूँ ,सुमित्रा अकेली नहीं है ,यह पात्र तो न जाने कितनी महिलाओं का प्रतिनिधित्व कर रहा है,शुक्र है अंतर्जाल की दुनिया ने घर की चारदीवारी में रहते हुए कुछ 'सुमित्राओं' को बाहर की दुनिया से जोड़ दिया है लेकिन उनका प्रतिशत बहुत ही कम है.<br />सशक्त लेखन.Alpana Vermahttps://www.blogger.com/profile/08360043006024019346noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-7736130555916967745.post-21519206098404004192010-07-20T02:17:01.147+05:302010-07-20T02:17:01.147+05:30aese kisse aksar dekhne ko milte ,aapne poori kaha...aese kisse aksar dekhne ko milte ,aapne poori kahani bahut sundar dhang se likhi hai .ज्योति सिंहhttps://www.blogger.com/profile/14092900119898490662noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-7736130555916967745.post-32272245340424401662010-07-19T18:39:17.276+05:302010-07-19T18:39:17.276+05:30कहानी बहुत सुंदर लगी...कहानी बहुत सुंदर लगी...डॉ. महफूज़ अली (Dr. Mahfooz Ali)https://www.blogger.com/profile/13152343302016007973noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-7736130555916967745.post-29125442114002321992010-07-19T16:10:15.337+05:302010-07-19T16:10:15.337+05:30बहुत ही मार्मिक कहानी है
अच्छा लगा.बहुत ही मार्मिक कहानी है<br />अच्छा लगा.राजकुमार सोनीhttps://www.blogger.com/profile/07846559374575071494noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-7736130555916967745.post-32179501601857731032010-07-19T15:42:59.591+05:302010-07-19T15:42:59.591+05:30जीवन की सच्चाई का कथानक बहुत मार्मिक रूप से गढा है...जीवन की सच्चाई का कथानक बहुत मार्मिक रूप से गढा है....अच्छी कहानीसंगीता स्वरुप ( गीत )https://www.blogger.com/profile/18232011429396479154noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-7736130555916967745.post-32094571450387930442010-07-19T15:29:44.569+05:302010-07-19T15:29:44.569+05:30nishabd kar gayi aapki kahani ..kahani bahut prav...nishabd kar gayi aapki kahani ..kahani bahut pravavsheel hai aur pravah bhi hai...स्वातिhttps://www.blogger.com/profile/06459978590118769827noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-7736130555916967745.post-53848482906316500812010-07-19T14:56:05.218+05:302010-07-19T14:56:05.218+05:30इसे कहानी कहा जाए या हकीकत?...फरक करना बहुत मुश्कि...इसे कहानी कहा जाए या हकीकत?...फरक करना बहुत मुश्किल लग रहा है शोभना जी!...एक स्त्री बहू-बेटे से तो ज्यादा उम्मीदे नहीं रख सकती...लेकिन पति भी अगर साथ न दे तो?.... बहुत उमदा रचना!Aruna Kapoorhttps://www.blogger.com/profile/02372110186827074269noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-7736130555916967745.post-19600593277621810372010-07-19T14:33:50.740+05:302010-07-19T14:33:50.740+05:30गाढ़े अनुभवों की कहानी।गाढ़े अनुभवों की कहानी।प्रवीण पाण्डेयhttps://www.blogger.com/profile/10471375466909386690noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-7736130555916967745.post-28924994621299792332010-07-19T14:29:32.389+05:302010-07-19T14:29:32.389+05:30मन व्यथित कर गयी, यह रचना...इतनी सहजता से आपने कहा...मन व्यथित कर गयी, यह रचना...इतनी सहजता से आपने कहानी के ताने-बाने में एक कडवी सचाई से रु-बरु करवा दिया.<br />सब क्षणिक सुख में ही विश्वास करते हैं,किसी ने अपना भविष्य नहीं देखा...फिर भी नहीं डरते कि कल बिलकुल उनके साथ भी ऐसा हो सकता है.<br />निर्मम यथार्थ से परिचित करवाती रचनाrashmi ravijahttps://www.blogger.com/profile/04858127136023935113noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-7736130555916967745.post-46140026876417085592010-07-19T13:34:23.791+05:302010-07-19T13:34:23.791+05:30मार्मिक अंत और कड़वा यथार्थ ..मुझे हमेशा ये बात अ...मार्मिक अंत और कड़वा यथार्थ ..मुझे हमेशा ये बात अचंभित करती है कि एक स्त्री दूसरी ही स्त्री की भावनाये क्यों नहीं समझ पाती .shikha varshneyhttps://www.blogger.com/profile/07611846269234719146noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-7736130555916967745.post-46266062330474800002010-07-19T13:26:58.409+05:302010-07-19T13:26:58.409+05:30ओह......शोभना जी यूँ ही नहीं उतरती ऐसी कहानियाँ .....ओह......शोभना जी यूँ ही नहीं उतरती ऐसी कहानियाँ .....<br />बहुत कुछ झेलना पड़ता है .....आपने एक-एक शब्द को जिया है जैसे .....बेहद ह्रदय स्पर्शी .......<br />और क्या कहूँ ....अभी आहत हूँ ....सुमित्रा की मनःस्थिति से .....<br />सच्च ये कैसी विडंबना है कहीं बहू के हाथों सास दुखी है तो कहीं सास के हाथों बहू ......!!<br /><br />इस सफल लेखन की आपको हार्दिक बधाई ......!!हरकीरत ' हीर'https://www.blogger.com/profile/09462263786489609976noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-7736130555916967745.post-79266781934430190782010-07-19T13:18:56.378+05:302010-07-19T13:18:56.378+05:30कटु सत्य, सच तो ये की यही है आज के जीवन का यथार्थ ...कटु सत्य, सच तो ये की यही है आज के जीवन का यथार्थ दिल में गहरे बैठ गई आपकी ये प्रस्तुतीरचना दीक्षितhttps://www.blogger.com/profile/10298077073448653913noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-7736130555916967745.post-12311000605838176602010-07-19T12:27:33.460+05:302010-07-19T12:27:33.460+05:30krpya ise bhi pdhe
http://rashmi-srivastava.blogs...krpya ise bhi pdhe <br />http://rashmi-srivastava.blogspot.com/शोभना चौरेhttps://www.blogger.com/profile/03043712108344046108noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-7736130555916967745.post-33554969218338464382010-07-19T12:24:47.031+05:302010-07-19T12:24:47.031+05:30Uf!Kaisa katu saty hai yah!Behad achhee katha hai!...Uf!Kaisa katu saty hai yah!Behad achhee katha hai!kshamahttps://www.blogger.com/profile/14115656986166219821noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-7736130555916967745.post-57994614003241273992010-07-19T11:53:22.584+05:302010-07-19T11:53:22.584+05:30बहुत ही मार्मिक रचना है ज़यादातर घरों मैं ऐसा ही ह...बहुत ही मार्मिक रचना है ज़यादातर घरों मैं ऐसा ही होता है बुड़े होते माँ बाप नीम के पीले पत्तो की तरह हो जाते है जिनके पेड़ से अलग होने का इंतजार रहता है.rashmihttps://www.blogger.com/profile/16484786822974826791noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-7736130555916967745.post-37760069786183415212010-07-19T08:27:59.842+05:302010-07-19T08:27:59.842+05:30बहुत ही सशक्त रचना। ऐसी ही होती जा रही है जिन्दग...बहुत ही सशक्त रचना। ऐसी ही होती जा रही है जिन्दगी। इसलिए अपने नीम के पेड़ को सुरक्षित रखने की आवश्यकता है।अजित गुप्ता का कोनाhttps://www.blogger.com/profile/02729879703297154634noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-7736130555916967745.post-30522833039750752522010-07-19T08:15:20.573+05:302010-07-19T08:15:20.573+05:30ओह! डूब गये इसमें.ओह! डूब गये इसमें.Udan Tashtarihttps://www.blogger.com/profile/06057252073193171933noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-7736130555916967745.post-71489164838487603152010-07-19T04:27:46.215+05:302010-07-19T04:27:46.215+05:30जीवन का निर्मम यथार्थ ...
बुढ़ापे की ओर बढ़ते माता ...जीवन का निर्मम यथार्थ ...<br />बुढ़ापे की ओर बढ़ते माता पिता धीरे धीरे नीम के पीले पत्तों की तरह होते जाते हैं बच्चों के लिए बिना यह सोचे की आखिर उनकी नियति भी एक दिन वही होनी है ..वाणी गीतhttps://www.blogger.com/profile/01846470925557893834noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-7736130555916967745.post-22979068553252064162010-07-19T02:14:40.363+05:302010-07-19T02:14:40.363+05:30जीवन का यथार्थ बहुत ही सहज तरीके से प्रस्तुत कर रह...जीवन का यथार्थ बहुत ही सहज तरीके से प्रस्तुत कर रहीं हैं आप इस कथा में । अंत तो बहुत ही मार्मिक ।Asha Joglekarhttps://www.blogger.com/profile/05351082141819705264noreply@blogger.com