tag:blogger.com,1999:blog-7736130555916967745.post6204762098290468864..comments2024-03-10T11:27:05.515+05:30Comments on अभिव्यक्ति: चिट्ठी आई है ....शोभना चौरेhttp://www.blogger.com/profile/03043712108344046108noreply@blogger.comBlogger16125tag:blogger.com,1999:blog-7736130555916967745.post-45753659632455448512010-12-31T00:29:46.887+05:302010-12-31T00:29:46.887+05:30पोस्ट पढ़कर चिट्ठियों की याद आई..परन्तु किसी एक विश...पोस्ट पढ़कर चिट्ठियों की याद आई..परन्तु किसी एक विशेष की नहीं...सच लगता है हम भूल गए कागज पर पत्र लिखना !<br />..............<br />***नूतन दशक की बहुत सारी मंगल कामनाएं***Alpana Vermahttps://www.blogger.com/profile/08360043006024019346noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-7736130555916967745.post-1313485751591411672010-12-28T15:55:50.219+05:302010-12-28T15:55:50.219+05:30सचमुच...क्या दिन थे वे....पूरा घर इकट्ठा हो जाता थ...सचमुच...क्या दिन थे वे....पूरा घर इकट्ठा हो जाता था,चिट्ठी सुनने को और कोई एक जन बीच में जोर-जोर से पढता ..फिर सबलोग बारी-बारी से खुद से पढ़ते...कितनी तो यादें जुड़ी हैं.<br /><br />अब इतनी सुन्दर ग़ज़ल कैसे लिखी जायेगी..."तेरे खुशबू में बसे ख़त मैं जलाता कैसे....rashmi ravijahttps://www.blogger.com/profile/04858127136023935113noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-7736130555916967745.post-84625890674803497392010-12-27T13:25:38.523+05:302010-12-27T13:25:38.523+05:30चिट्ठी तो चिट्ठी ही हुआ करती हैं ,चिठ्ठी का तो आज...चिट्ठी तो चिट्ठी ही हुआ करती हैं ,चिठ्ठी का तो आज भी कोई तोड़ नही हैं .आपकी पोस्ट बहुत भावपूर्ण लगी ,बहुत अच्छा लगा पढ़कर .थैंक्सRADHIKAhttps://www.blogger.com/profile/00417975651003884913noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-7736130555916967745.post-1984014824473519692010-12-27T11:56:00.980+05:302010-12-27T11:56:00.980+05:30हा पत्रों का समय तो वाकई चला गया है | किन्तु आधुनि...हा पत्रों का समय तो वाकई चला गया है | किन्तु आधुनिक यंत्रो का फायदा क्या है वो इस बेटी से पूछिये जो अपने घर से इतनी दूर है भला हो इन यंत्रो का अब तो घर पर रोज बात भी होती है और हर दूसरे दिन माँ बेटी और नानी नतनी एक दूसरे को देख भी लेती है वीडियो चैट से |anshumalahttps://www.blogger.com/profile/17980751422312173574noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-7736130555916967745.post-45422972981164100612010-12-27T11:13:00.090+05:302010-12-27T11:13:00.090+05:30कितना कुछ बदल गया है..चिठ्ठी, तार, टेलिफोन...टेलिफ...कितना कुछ बदल गया है..चिठ्ठी, तार, टेलिफोन...टेलिफोन का आधुनीकरण,मोबाईल फोन...उसके बाद स्काईप!...लेकिन चिठ्ठी तो हमारे अंतरात्मा से अब तक जुडी हुई है!...बहुत सुंदर प्रस्तुति शोभना जी!..नया साल बहुत बहुत मुबारक हो!..बस!..बस!... थोडा सा इंतजार!Aruna Kapoorhttps://www.blogger.com/profile/02372110186827074269noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-7736130555916967745.post-68882045845390051132010-12-26T16:16:31.958+05:302010-12-26T16:16:31.958+05:30अब तो पत्र गुजरे ज़माने से लगते हैं .कितना सुखद अह...अब तो पत्र गुजरे ज़माने से लगते हैं .कितना सुखद अहसास देता था डाकिये के हाथ में अपने नाम का पत्र.shikha varshneyhttps://www.blogger.com/profile/07611846269234719146noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-7736130555916967745.post-85954185462538296772010-12-26T15:21:27.791+05:302010-12-26T15:21:27.791+05:30सही कहा है आपने , हम घर में बच्चों से चिट्ठीपत्री ...सही कहा है आपने , हम घर में बच्चों से चिट्ठीपत्री के समय की चर्चा करते हैं । राखी - रोचना पर अपनी बेटी से चिट्ठियाँ भी लिखवाते हैं । सहेजी गई चिट्ठियाँ भी दिखाते हैं । आज भी चाहे कितनी भी सुविधा क्यों न हो गई हो , चिट्ठी लिखने का अपना एक अलग ही मजा है । अच्छी पोस्ट ,बधाई । नूतन वर्ष की शुभकामनाएं ।खबरों की दुनियाँhttps://www.blogger.com/profile/02650413421178799430noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-7736130555916967745.post-52490709318943825722010-12-26T12:42:59.585+05:302010-12-26T12:42:59.585+05:30बहुत सारी व्यथा एक साथ कह दी। नया जमाना है तो नयी...बहुत सारी व्यथा एक साथ कह दी। नया जमाना है तो नयी बाते ही होंगी। हमें नये चलन को ना केवल स्वीकार करना होगा अपितु सीखना भी होगा। अब आप देखिए फोन आने पर नवयुवा कमरे से बाहर चले जाते हैं, जैसे गोपनीय हो और पहले सारे एकत्र हो जाते थे। उनसे पूछो कि बाहर क्यों जा रहे हो तो कहते कि इतना भी नहीं पता कि यह आउट ऑफ एटीकेट है और हमारी तरफ बड़ी ही हिकारत की नजर से देखते हैं कि कैसे पुरातनपंथी हैं!अजित गुप्ता का कोनाhttps://www.blogger.com/profile/02729879703297154634noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-7736130555916967745.post-9562282512423519572010-12-26T10:13:09.418+05:302010-12-26T10:13:09.418+05:30jane kahan gaye wo din ... per aaj bhi sahej rakhi...jane kahan gaye wo din ... per aaj bhi sahej rakhin hain kuch chitthiyaan maine ... apne papa kee bhi (1975ki )...रश्मि प्रभा...https://www.blogger.com/profile/14755956306255938813noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-7736130555916967745.post-1079308767921356312010-12-25T23:48:23.294+05:302010-12-25T23:48:23.294+05:30chitthi ko pahle ek khushi ka prateek maana jata t...chitthi ko pahle ek khushi ka prateek maana jata tha.lekin ab vo baat kahan. sunder prastuti.अनामिका की सदायें ......https://www.blogger.com/profile/08628292381461467192noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-7736130555916967745.post-26337864779106306812010-12-25T22:47:49.848+05:302010-12-25T22:47:49.848+05:30पहले चिट्ठी से ही लोग लिखने की शुरूआत करते थे।
..स...पहले चिट्ठी से ही लोग लिखने की शुरूआत करते थे।<br />..सुंदर पोस्ट।देवेन्द्र पाण्डेयhttps://www.blogger.com/profile/07466843806711544757noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-7736130555916967745.post-21675686718174895632010-12-25T22:44:28.894+05:302010-12-25T22:44:28.894+05:30मनोजजी
डाकिया आता भी है तो हम कहाँ जान पाते है की...मनोजजी<br />डाकिया आता भी है तो हम कहाँ जान पाते है की वो डाकिया है क्योकि अब तो खाकी वर्दी पहनना आवश्यक नहीं है |और जो डाक आती है वो भी कुछ पत्रिकाए ,शादी के कार्ड आदि होते है जिसका उत्सुकता से इंतजार नहीं होता |शोभना चौरेhttps://www.blogger.com/profile/03043712108344046108noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-7736130555916967745.post-60647256936365070772010-12-25T22:35:20.292+05:302010-12-25T22:35:20.292+05:30Kuchh arse baad bachhe shayad 'dakiya' is ...Kuchh arse baad bachhe shayad 'dakiya' is shabd ka matlab hee bhool jayenge!<br />Ek aur bahut sundar geet is awsar pe yaad aaya," phool tumhen bheja hai khat me...!"Ab khat hee nahee to sookhe phool kahanse??kshamahttps://www.blogger.com/profile/14115656986166219821noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-7736130555916967745.post-84152845560876346312010-12-25T22:00:08.416+05:302010-12-25T22:00:08.416+05:30उन पत्रों को अब कौन याद करता है, सबने तो ईमेल आदि ...उन पत्रों को अब कौन याद करता है, सबने तो ईमेल आदि का सहारा ले लिया।प्रवीण पाण्डेयhttps://www.blogger.com/profile/10471375466909386690noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-7736130555916967745.post-7080418885150679652010-12-25T20:49:47.608+05:302010-12-25T20:49:47.608+05:30अब तो कूरियर का ज़माना है, पता नहीं डाकिया दिखता क...अब तो कूरियर का ज़माना है, पता नहीं डाकिया दिखता क्यों नहीं। <b>बहुत अच्छी प्रस्तुति। हार्दिक शुभकामनाएं!</b><br /><a href="http://manojiofs.blogspot.com/2010/12/blog-post_25.html" rel="nofollow">एक आत्मचेतना कलाकार</a>मनोज कुमारhttps://www.blogger.com/profile/08566976083330111264noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-7736130555916967745.post-83610757852532398182010-12-25T19:45:01.488+05:302010-12-25T19:45:01.488+05:30आज आपने भी न जाने कितनी चिट्ठियों की याद दिला दी ....आज आपने भी न जाने कितनी चिट्ठियों की याद दिला दी ...छोटे से पोस्ट कार्ड पर कितनी सारी बातें सिलसिलेवार लिखी जातीं थीं ...पुरानी यादों को ताज़ा कर दिया ...संगीता स्वरुप ( गीत )https://www.blogger.com/profile/18232011429396479154noreply@blogger.com