कितने लोग ईश्वर के अस्तित्व को मानते है ,नहीं मानते सबके अपने अपने तर्क है अपनी आस्था है अपना विश्वास है यह बहस युगो से चली आ रही है और चलती रहेगी । दिन रात समाचारो में अपराध ,बलात्कार हत्याए समाचार देख सुन अच्छा क्या होता है ?मानो घटता ही नही है बहुत मेहनत करके भी अपना परिवार का गुजर मुश्किल से कर प् रहे है इसमें कितनी ही महिलाये अपने परिवार के लिए अथक मेहनत करती है सुबह शाम तक ऐसी ही चिकर घिन्नी की तरह घूमती एक महिला है जो एक ब्यूटी पार्लर में काम करती है जहा वह सुबह ११ बजे से ७ बजे तक जाती है और उसके पहले सुबह तीन घरो में खाना बनाती है और छुट्टी के दिन मालिश का काम करती है और अपने दो बच्चो को अच्छे ?स्कूल में पढ़ाती है ,उसका पति ड्राइवर है महीने में तीन या चार बार ड्राइवरी करता है और हफ्ते भर शराब पिता है और जब कम पड़ जाते है पत्नी के आगे हाथ फैला देता है | दोनों ने १२ साल पहले प्रेम विवाह किया था | धर्म परिवर्तन करके सेवा कार्य करने अग्रणी संस्थाओ के ईश्वर को वह नहीं मानता और रात को दाल चावल आटा नमक सब मिलकर रख देता है सुबह अपनी पत्नी को कहता है बुलाओ तुम्हारे ईश्वर को और उससे कहो -ये सब चीजे अलग करे |
कितने अलग अलग तरह के दुखो से गुजरती होगी यह महिला उसकी इस तकलीफ को देखकर निशब्द हो जाते है हम जब वो कभी घर आती है मैंने पिछले सात साल में कभी उसको मुस्कुराते हुए नहीं देखा |
कितने अलग अलग तरह के दुखो से गुजरती होगी यह महिला उसकी इस तकलीफ को देखकर निशब्द हो जाते है हम जब वो कभी घर आती है मैंने पिछले सात साल में कभी उसको मुस्कुराते हुए नहीं देखा |
2 टिप्पणियाँ:
सबके अपने-अपने दुख हैं....
दुःख के कारण अपने आप बन जाते हैं किसी का कसूर नहीं होता ... फिर सभी कुछ झेलना ही होता है खुद को बस ...
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