Monday, March 09, 2009
फाग
जिन्दगी जीने के लिए ,
रंग बिखेर गया श्याम
राधा को ब्रज में भटकने ,
छोड़ गया श्याम
और उसी राधा को संग ले
मंदिरों में सज गया श्याम
और उसी छलिये ने
फाग
खेलने हमको ,तुमको और सबको बुलाया है
आज
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