Friday, July 29, 2022
नन्हा शिशु
›
माँ दे रही शिशु को अपनी साँसे माँ पुलक रही अपने शिशु की साँसों से नवयौवना हो, प्रौढा हो, या वृद्धा हो माँ की साँसे महकती है सिर्फ अपने शिशु...
अमाड़ी की भाजी
›
हमारे यहाँ किसी जमाने मे गांवों में सिर्फ ज्वार की रोटी ही खाई जाती थी।क्योंकि तब खेतों में खरीब की फसल में ज्वार मूंग,चवला और अरहर की दाल ...
2 comments:
›
एक शाम में कुछ यू ही ......... रात उतरती गई ,बाते सुलगती गई सपने हवा हुए ,चादर छोटी हुई अंगड़ाई ने मुस्कुराने का प्रयत्न किया जिन्दगी को चल...
Wednesday, October 27, 2021
यादों की पोटली
›
#यादोंकी पोटली -3 "दीपावलीआप सबके जीवन मे अनन्त खुशियां लाये अनेकानेक शुभकामनाये।" अंतिम किश्त खूब आड़ी तिरछी रांगोली बनाते ।मौसम म...
Monday, March 01, 2021
सूखा पेड़
›
तुमने देखा है मुझे हरा भरा वो मेरा सिंगार किया था प्रकृति ने मेरी छाँव में सुख पाया ऐसा तुम कहते हो मैंने तुम्हारी भूख मिटाई ऐसा भी तुम ह...
5 comments:
Saturday, February 13, 2021
बस कुछ यूं ही
›
बस कुछ यूं ही 💐💐💐💐💐💐 विचारों का दरख़्त खोखला हुआ चला है जड़ें भी सिमटने लगी है मैं महान हूँ इसी भ्रम में, पीछे लगी कतार को झुठला न सके ...
2 comments:
Monday, December 14, 2020
ओतस इडली
›
#मैं मेरी#रसोई और मेरी कहानी पोस्ट 8 इधर कई दिनों से तबियत खराब थी तो चाहकर भी रसोई की कहानी लिख न पाई। इस बार कहानी कुछ यूँ है जब मुम्बई म...
1 comment:
Monday, September 28, 2020
मेरी रसोई की कहानी
›
मेरी रसोई की कहानी हम मध्यम वर्ग की गृहिणियों में कोई भी चीज का नुकसान न होने देने की आम बीमारी होती है। ये ठीक उसी तरह होती है जैसे कोई भ...
4 comments:
Thursday, July 23, 2020
पचपन पार की औरते
›
नारी दिवस पर 💐💐💐💐 55 पार की औरते 55 के पार की औरतें शीशे में अपना अक्स देखने में सकुचाती है अपना आत्म विश्वास खोने लगती है जब जिसकी अर्...
नदी
›
नदी एक नदी थी अपनी, कलकल बहती लहराती ,इठलाती दर्पण सी पारदर्शी प्यास बुझाती, भूख मिटाती नाव को सहारा बनाती किनारों के मिलने का , न जाने ! क...
›
Home
View web version