मेरा सच !
तुम्हारे तोहफों से मुझे
बहला न सका ?
मेरा सच!
तुम्हारे त्यागो से
तप न सका ?
मेरा सच !
तुम्हारी ममताओ को
समझ न सका ?
मेरा सच!
तुम्हारे विश्वासों को
अखंड रख न सका ?
मेरा सच !
मेरे ही झूठे वादों से
तुम्हे लुभा न सका ?
मेरा सच !
अद्वैत के आवरण से भी मुझे
ढँक न सका ?
मेरा सच!
मेरे ही मित भाषणों से
मिट न सका ?
मेरा सच !
मेरे लौकिक कि खातिर
तुम्हारी अलौकिक को परख न सका?
मेरा सच!
बीज डालने कि प्रक्रिया में
तुम्हारी उर्वरा शक्ति को पहचान न सका?
मेरा बौना सच!
लील गया
वटवृक्ष कि जटाओं को
झुक न सका ?
और
ढूंढ़ता रहा
कन्दराओ में
गुफाओ में
मेरे सच को!
किन्तु मै वन्य जीवन का
आदी
वन्य जगत का
प्राणी ही रहा
छुपा न पाया
मनुष्य जीवन के
आवरण में
अपने भीतर के सच को .................
सच है तमाम सांसारिकताओं के बीच भी सच का मूल स्वरुप अपरिवर्तित रहता है.ये सिर्फ अपने प्रति ही सापेक्ष हो तभी सच है.
ReplyDeleteअपना सच खुद इंसान ही समझ पाता है.............उसको bahlaaya, fuslaaya नहीं जा सकता है ......... वो तो सच के dharaatal पर swath ही mukhrit हो जाता है........... लाजवाब है आपकी रचना
ReplyDeleteविस्मय विमुग्ध हूँ.... बहुत ही अच्छी रचना.......
ReplyDeleteएक अनमोल संग्रह निकालने का विचार है, आप अपनी बेहतरीन एक रचना भेज दें,परिचय और फोटो......सहयोग राशिः १०००/ है .....प्रकाशित पुस्तक २५ ,30 सबको दी जायेगी,पुस्तक की मार्केटिंग करें, विक्रय-राशिः आपकी होगी .......विमोचन किसी जाने-माने व्यक्ति से करवाने का विचार है.....अधिक जानकारी के लिए संपर्क करें
आप कुछ सुझाव देना चाहें तो अवश्य दें
digambar ji bilkul sahi kahe .aur aapka likha hua mujhe apne se jyada pasand aata hai .mujhe waise bhi doosaro ko padhana behad pasand hai .aapki chhavi meri aziz mitr se bahut milti julti hai ,aapke sach ke saath is such ko bhi zahir kiya .
ReplyDeleteaapki rachna to nodoubt lajawaab hai and Im also agreed with Digambar ji
ReplyDeleteमेरा सच!
ReplyDeleteबीज डालने कि प्रक्रिया में
तुम्हारी उर्वरा शक्ति को पहचान न सका?
मेरा बौना सच!
लील गया
वटवृक्ष कि जटाओं को
झुक न सका ?
और
ढूंढ़ता रहा
कन्दराओ में
गुफाओ में
मेरे सच को!
किन्तु मै वन्य जीवन का
आदी
वन्य जगत का
प्राणी ही रहा
छुपा न पाया
मनुष्य जीवन के
आवरण में
अपने भीतर के सच को .................
बहुत सुन्दर और अपने सार्वत्रिक सत्य की बेहद निकट.कविता जीवन के सत्य को अलग दृष्टिकोणों से सामने लाती है.