Sunday, August 01, 2010

"आंसुओ की मार्केटिंग "













घर के सरे कामो से निवृत होकर अख़बार पढ़ने बैठी तो बाहर से आवाज़ सुनाई दी ,आंसू ले लो आंसू ......... मैं उस आवाज को ध्यान से सुनने लगी ये क्या चीज़ है? शायद मुझे बराबर शब्द समझ नही आरहे थे फ़िर आवाज थोडी पास में आई और उसने फ़िर से वही दोहराया तब मुझे स्पष्ट समझ में आया वो आंसू बेचने वाला ही था|
मै उत्सुकतावश बाहर आई अभी तक सब्जी वाले .अख़बार वाले ,दूध वाले .झाडू बेचने वाले, आचार ,पापड़ ,बड़ी बेचने वाले चूड़ी बेचने वाले यहाँ तक क़ी हर तीसरे दिन बडे बडे कारपेट बेचने वाले आते रहते है! मुझे समझ नही आता कि इतने छोटे -छोटे घरो में इतने बडे बडे कारपेट कौन खरीदता है? और वो भी इतने मंहगे ?
भाई मै तो हाकर से कभी १०० रु से ज्यादा का सामान नही खरीदती!
हां पर ये मेरी सोच है, शायद लोग खरीदते होगे ?तभी तो बेचने आते है या फ़िर उनके रोज रोज आने से लोग खरीदने पर मजबूर हो जाते है?
राम जाने ?
किंतु आंसू?
क्या बात हुई ?ये भी कोई खरीदने की चीज़ है क्या ?
मैंने उसे आवाज दी ,वो १६- १७ साल का अपटूडेट सा दिखने वाला लड़का था|
मैंने उससे पूछा ?
आंसू बेचते हो ,येतो मैंने पहले कभी नही सुना ?
भाई आंसू तो इन्सान की भावनाओ से जुड़े है वो तो अपने आप ही आँखों से बरस पड़ते है रही बात नकली आंसुओ की तो फिल्मो में दूरदर्शन में रात दिन देखते है है उसके लिए तो बरसों से ग्लिसरीन इस्तेमाल होता है|
तुम ये कै से आंसू बेचते हो ?
अरे आंटीजी आप देखिये तो ?मेरे पास कई तरह के आंसू है ,आप ग्लिसरीन को जाने दीजिये वो तो परदे की बात है
ये तो जीवन से जुड़े है यह कहकर उसने एक छोटासा पेटी नुमा बैग निकला उसमे छोटी छोटी शीशीया रंग बिरगी
थी उसमे आंसू भरे थे|
मैंने फ़िर उसकी चुटकी ली बिसलेरी का पानी भर लाये हो और आंसू कहकर बेचते हो ?
उसने अपने चुस्त दुरुस्त अंदाज में कहा -देखिये ये सुनहरी शीशी में वो आंसू है जो लड़किया (दुल्हन)आजकल अपनी बिदाई पर नही बहाती क्योकि उनका मेकअप खराब होता है !इस शीशी को दुल्हन के सामान के साथ सजाकर रख दो
लेबल लगाकर जब कभी उसे मायके की याद आवेगी तो ये शीशी देखकर उसकी आँखों में आंसू जावेगे उसने बहुत ही आत्म विश्वास से कहा|
मैंने कहा -पर मेरी तो कोई लड़की नही है|
उसने तपाक से कहा -बहू तो होगी?फट से उसने बेगनी रंग की शीशी निकली और कहा उसके लिए लेलो उसे भी तो अपने मायके की याद आती होगी ?

अच्छा छोड़ो बताओ और कौन कौन से आंसू है ?
ये देखिये: उसने गहरे नीले रंग की शीशी निकली और कहने लगा इसमे बम धमाको में मरने वालो के रिश्तेदारों के
आंसू है जो सिर्फ़ राज नेता ही खरीदते है|
ये फिरोजी रंग की शीशी में दंगे में मरने वालो के अपनों के आंसू है जो सिर्फ़ डॉन खरीदते है|
ये हरे रंग की शीशी के आंसू उन औरतो के है जो बेवजह रोती है ?इन्हे समाज सेवक खरीदते है?
मै स्तब्ध थी1
मुझे चुप देखकर उसने दुगुने उत्साह से बताना शुरू किया -देखिये `ये पीले और नारगी रंग की शीशी के आंसू है
जो ज्ञान देते है ईश्वर से प्रेम करते है ये सिर्फ़ प्रवचन देने वाले साधू महात्मा ही खरीदते है|
और ये जो लाल रंग की शीशी में है ये तो चुनावो के समय हमारे देश में बहुत बिकता है क्योकि इसे हर राजनितिक पार्टी का बन्दा खरीदता है|
मैंने एक सफेद खाली शीशी की तरफ इशारा किया इसमे तो कुछ भी नही है ?
उसने कहा -इसमे वे आंसू है जो लोग पी जाते है इन्हे कोई नही खरीदता|
फिर वह कई रंग के आंसू बताता रहा|
मै सुस्त हो रही थी अचानक पूछ बैठी ?
अच्छा इनके दाम तो बताओ ?
उसने कहा - दाम की क्या बात है पहले इस्तेमाल तो करके देखिये अगर फायदा होता है तो दो आंसू दे देना,
मेरे स्टॉक में इजाफा हो जावेगा ................................

(image source - http://media.photobucket.com/)

30 comments:

  1. आंसू भी बिकने लगे.... लेबल लगे आंसू, अच्छा कटाक्ष है

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  2. बहुत ही बढ़िया शोभना जी, आजकल हर चीज़ बिकती है, बस पैकिंग बढ़िया होनी चाहिए,

    उम्दा.

    रिगार्ड्स,
    मनोज खत्री

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  3. बहुत अच्छी लगी यह पोस्ट...

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  4. मृत सम्वेदनाओं पर तीखा व्यंग्य।
    बिना दो आंसु गिराये,लेखिका के लिये लिखना असम्भव।

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  5. मै सुस्त हो रही थी अचानक पूछ बैठी ?
    अच्छा इनके दाम तो बताओ ?
    उसने कहा - दाम की क्या बात है पहले इस्तेमाल तो करके देखिये अगर फायदा होता है तो दो आंसू दे देना,
    मेरे स्टॉक में इजाफा हो जावेगा ................................
    Aapko kahanse itna behtareen vyang soojh gaya?

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  6. ये आंसू बिकते हैं .........लाजवाब प्रस्तुति रही .

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  7. सटीक है । आजकल सब दिखावा है ,संवेदना भी ।

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  8. बहुत सटीक कटाक्ष.

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  9. लाजवाब प्रस्तुति के साथ एक बेहतरीन पोस्ट.

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  10. आंसूं भी बिकते हैं ...जब भावनाएं नकली होने लगी हैं तो आंसू भी तो बिकेंगे ही ...
    लाजवाब !

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  11. ओह ...आंसू की बिक्री ...शायद जो आज आपने सोचा है भविष्य में सच हो जाये ...अब संवेदना बची ही कहाँ है...
    अच्छा कटाक्ष

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  12. बहुत सुंदर कटाक्ष किया आप ने इस कहानी के माध्यम से, आज कल यह सब होता है इस लिये कई बार दुसरो का दुख देख कर मन भी नही पसीजता.....
    धन्यवाद

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  13. अब यही तो बचा है बिकने के लिये बाकी इंसान की आत्मायें तो पहले ही बिक चुकी हैं………………॥एक बेहद उम्दा और संवेदनशील कटाक्ष्।

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  14. अवाक हो गया आपकी पोस्ट पढ़ कर...मानवीय त्रासदियों को अद्भुत ढंग से बयां किया है आपने अपनी रचना में...मेरा अभिवादन स्वीकारें...
    नीरज

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  15. संवेदनात्मक पोस्ट, आँसू भी बिकने लगेंगे अब।

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  16. शोभना चौरे जी आपके इस उम्दा सोच को सलाम आज इसी तरह के सोच और लेखनी की जरूरत है ,सराहनीय ब्लोगिंग .. शानदार ..

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  17. बहुत सुंदर कटाक्ष किया आप ने इस कहानी के माध्यम से,आंसू भी बिकने लगे, लाजवाब प्रस्तुति

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  18. आदरणीया शोभना चौरे जी
    नमस्कार !
    टिप्पणी अवश्य कहानी पर दे रहा हूं , लेकिन मैंने आपकी कविताएं भी पढ़ीं हैं ।
    सभी विधाओं में आप सक्रिय हैं ।
    आपकी कहानी आंसुओं की मार्केटिंग अद्भुत है । सारगर्भित व्यंग्य भी साथ ही अंतर्निहित है ।
    बधाइ !

    शस्वरं पर भी आपका हार्दिक स्वागत है , अवश्य आइए…

    - राजेन्द्र स्वर्णकार
    शस्वरं

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  19. नकली आंसू बहाने वालों पर अच्छा व्यंग्य कसा है आपने!.... आंसूओं की जरुरत इन्हें ही पडती है!....हा, हा, हा!

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  20. कमाल की अभिव्यक्ति और भावनाएं हैं आपकी , धैर्य कम होने के कारण ,शुरू में उबाऊ सा लगा आपका लेख और बाद में एक एक लाइन ध्यान से पढनी पड़ी और सबसे अंत में आपका फोटो देख और आशीर्वाद माँगा कुछ धैर्य का ! आप मुझसे बड़ी नज़र आती हैं इसलिए !
    आपको हार्दिक शुभकामनायें !!

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  21. वैसे मैं बिन मेकअप किए भी नहीं रोई थी । रोना क्यों आवश्यक है? क्यों रोए कोई? क्या इसलिए कि समाज अपेक्षा करता है? क्या रोना भी निजी नहीं है?
    एक इस बात के अलावा शेष रचना पसन्द आई।
    घुघूती बासूती

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  22. शोभना माँ,
    सादर नमस्ते!
    स्तब्ध हूँ! ख़त्म होती संवेदनशीलता का सही उपाय खोज निकाला है आपने!
    हे इश्वर! मेरी आँखों का पानी न सूखे!
    आशीष

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  23. आज हर चीज बिकाऊ है - आंसू भी |

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  24. @ Mired Mirage बेटी की विदाई पर आंसू स्वाभाविक रूप से ही आ जाते हैं - बेटी के भी और माँ-बाप के भी |

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  25. aansoo ki itanee behatari se yathaarthvaadi paribhasha..me dang hu..abhivaykti ka thos udaharan prastut karati rachna..

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  26. करारा व्यंग ... व्योपार का जमाना है .... सब कुछ बिकओ है यहाँ ...

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