बात शायद इतनी महत्वपूर्ण न लगे ?किन्तु जीवन में कभी कभी अरे !कभी कभी क्यों ?हमेशा ही अच्छी बाते होती रहती है पर जयादा तर हमे कुछ थोडा सा बुरा ही याद रह जाता है और हम उसी का बखान किया करते है |अभी पिछले हफ्ते मै बेंगलोर से लौटी करीब ३३ घंटे कि रेल यात्रा करके, उज्जैन |उज्जैन से इंदौर बस से आना था जैसे ही स्टेशन के बाहर आये बस तैयार खड़ी थी इंदौर आने के लिए |रिक्शा वाले ने फटाफट बस कि डिक्की मे बस के कंडक्टर के साथ सामान रखा और कडक्टर ने कहा आप लोग बैठिये बस चलने वाली है \मैंने अपने पतिदेव से कहा -जरा चाय तो पी लेते |उज्जैन मे चाय बहुत अच्छी मिलती है |फिर रेलवे कि चाय पीने के बाद तो और ज्यादा अच्छी लगती है |इन्होने कहा -अब घर चलकर ही पियेगे एक से डेढ़ घंटा ही तो लगेगा |मै भी मन मसोस कर बैठ गई |और करीब पांच मिनट के बाद
बस भी चलने लगी तभी मेरी खिड़की के पास ठक - ठक कि आवाज हुई मैंने खिड़की का कांच थोडा सरकाया तो देखा
बस का कंडक्टर एक छोटे से डिस्पोजल गिलास मे चाय लिए खड़ा था और उसने कहा -जल्दी ले लीजिये |
मुझे लगा शायद इन्होने कहा होगा ?ये टिकट लेने मे व्यस्त थे |
आपने अपने लिए चाय नहीं मंगवाई ?
नहीं मैंने तो चाय का नहीं कहा ?मेरे हाथ मे चाय का गिलास देखकर इन्होने कहा |
उस कंडक्टर मेरी बात सुन ली थी जब मैंने चायपीने कि इच्छा जाहिर कि थी और तुरंत ही सामने कि दुकान से मुझे चाय लाकर दे दी |
मेरे लिए वह चाय अमृत तुल्य ही थी जो इतने अपनेपन से उसने लाकर दी थी \इंदौर आने के बाद मैंने उसे अपना फर्ज समझ कर पैसे दिए जो उसने बड़ी ही मुश्किल से लिए |
मेरे लिए ये स्नेहभरा क्षण अविस्मरनीय बन गया |
आज भी ऐसे मानवीय संवेदना से भरे लोग हैं ...यह जानकारी निश्चय ही सुखद है ..
ReplyDeleteआप बहुत अच्छी है ना दी .....
ReplyDeleteइसी लिए ...
एसे अविस्मर्णीय क्षण अक्सर घटते है तो बड़ा सकूं मिलता है .....
sneh anjaan raasto sae chal kar hi aataa haen
ReplyDeleteजी आप की बात से सहमत हुं, ऎसा कभी कभी होता है,ओर उस समय हमारे दिल से दुआ निकलती है उस इंसान के लिये.
ReplyDeleteआपकी रचनात्मक ,खूबसूरत और भावमयी
ReplyDeleteप्रस्तुति के प्रति मेरे भावों का समन्वय
कल (30/8/2010) के चर्चा मंच पर देखियेगा
और अपने विचारों से चर्चामंच पर आकर
अवगत कराइयेगा।
http://charchamanch.blogspot.com
भगवान करे कि ऐसे अच्छे लोग सदा आपके मन की बात भी सुन लिया करें।
ReplyDeleteइस दुनिया में अभी भी मानवता और अपनत्व ज़िंदा है !
ReplyDeletebhn shobhnaa ji bhut khub aapne zindgi ko pozetiv triqe se sochaa he or yhi hona bhi chaahiye sch khaa andhere to bhut km hote hen kyonki us bqt hm o jaat hen lekin zindgi men to ujaale hi ujaale hen inki khushiyaaa hi hm dekh len to ji lenge bhut khub aapne mujhe in alfaazon me nya sbq pdhaa diya he . akhtar kan akela kota rajsthan
ReplyDeleteबहुत ही अच्छी लगी ये पोस्ट...ऐसी ही छोटी छोटी बातें ज़िन्दगी को सुन्दर बनाती हैं...आपने याद रखा...और हम सबसे बांटा भी...सब आनंदित हुए
ReplyDeleteआपकी पोस्ट के लिए क्या लिखूं समझ नहीं आ रहा है. हमें भी शब्द नहीं मिल रहे हैं इसलिए आभार.
ReplyDeleteप्रेरक संस्मरण ।
ReplyDeleteकभी कभी छोटी छोटी बातें ऐसे अविस्मर्णीय अनुभव दिल में दर्ज कर जाते है जिन्हें भुलाना नामुमकिन हो जाता है.
ReplyDeleteKitna achha lagta hai jankar ki,duniyame aise log maujood hain!
ReplyDeleteAapki is baat parse mujhe ek baat yaad aa gayi,jise kabhi likhungi!
ऐसे स्वर्णिम पल जीवन को माईने देते हैं..अच्छा लगा संस्मरण पढ़.
ReplyDeleteजब इतनी आत्मीयता किसी बाहर वाले से मिलती है
ReplyDeleteतब मन प्रसन्नता से भर जाता है और वे पल
बहुत अमूल्य हो जाते है |संस्मरण बहुत अच्छा लगा |बहुत बहुत बधाई
आशा
ऐसे गिने चुने लोंग ही हैं जो मानवीय मूल्यों को जिन्दा रखे हुए हैं ..!
ReplyDeleteबहुत अच्छी प्रस्तुति।
ReplyDeleteधन्यवाद !
आज भी इंसानियत ज़िंदा है.... यह जानकर बहुत अच्छा लगा...
ReplyDeleteजानकर अच्छा लगा !!
ReplyDeleteइस दुनिया में मानवता और प्रेम ऐसे ही लोगों से बचा है। बहुत ही अच्छी पोस्ट।
ReplyDeletesilence is the best form of appraisal, at times!
ReplyDeleteये स्नेहभरा क्षण हम सबके साथ शेयर करने के लिए आभार। काश ऐसे ही सब लोग हो जाएँ।
ReplyDeleteकभी कभी ऐसी सुखद अनुभूति पर इंसान मौन हो जाता है .... सच कहा आपने ...
ReplyDeletelekh padhte huye mere man me bhi sangeeta ji kahi baat hi uthi thi ,jeene ki umeed isi tarah badhti hai .uttam .
ReplyDeleteऐसे संस्मरण आस्था जगाते हैं
ReplyDeleteआज भी ऐसे मानवीय संवेदना क्षण अक्सर घटते है.....प्रेरक पोस्ट...
ReplyDeleteजी हा कई बार ऐसी छोटी छोटी घटनाए ही हमें एहसास दिलाती है की दुनिया में अपनत्व और मानव होने का एहसास अभी भी लोगों में है |
ReplyDeleteMaanveey mulya abhi baki hain ..achhee lagi ye post .
ReplyDeleteपहले भी इसे पढ़ चुका हूँ...लेकिन आज फिर से दुबारा पढ़ा।
ReplyDeleteअविस्मरणीय होते हैं ऐसे क्षण।।