....यह जगह बहुत सुंदर है!..पुरानी याद ताजा हो गई शोभना जी!...यह किला मैने देखा है!...सुंदर प्रस्तुति!
जगह बहुत सुंदर है!
बहुत खूबसूरत किला ...सुन्दर जगह .
किले के बहुत सुन्दर चित्र..सुन्दर किले से परिचय कराने के लिए आभार
Bahut sundar tasveeren hain! Maheshwari sadiyan bhee mashhoor hain!
बड़े सुन्दर और मनोरम चित्र।
हाँ क्षमाजीमहेश्वरी साडियां भी बहुत प्रसिद्द है |होलकर के वंशजो ने वहां की इस कला को को जीवित रखने के लिए बुनकरों के लिए rehwa सोसायटी की स्थापना की जो किआज भी किले में स्थित है जहाँ जरी की सिल्क की sadiyan बनती देखि जा सकती है |
इंदौर की यादें ताजा कर दीं आपने। मनभावन चित्रों से सजी इस पोस्ट के लिए आभार।
बहुत सुंदर जानकारी ओर अति सुंदर चित्र, धन्यवाद
सुन्दर किले से परिचय कराने के लिए आभार...
इतिहास के गलियारों में आपके साथ घूमना बड़ा ही अनमोल अनुभव रहा! शोभना जी, धन्यवाद!!
बहुत खूबसूरत किला है ..देखा था हमने भी यहाँ तस्वीरें देख कर यादें ताजा हो गयी !
वाह शोभना दी,मन प्रसन्न हो गया, सच में !
जय हो! मन प्रसन्न हुआ!
नगर नियोजन व व्यवस्था चित्रों से ही उभर कर आ रही है. मानव का संयमित अवदान साथ हो तो प्रकृति नयनाभिराम बन जाती है.
शेयर करने के लिए धन्यवाद ले लो जानकारी
....यह जगह बहुत सुंदर है!..पुरानी याद ताजा हो गई शोभना जी!...यह किला मैने देखा है!...सुंदर प्रस्तुति!
ReplyDeleteजगह बहुत सुंदर है!
ReplyDeleteबहुत खूबसूरत किला ...सुन्दर जगह .
ReplyDeleteकिले के बहुत सुन्दर चित्र..सुन्दर किले से परिचय कराने के लिए आभार
ReplyDeleteBahut sundar tasveeren hain! Maheshwari sadiyan bhee mashhoor hain!
ReplyDeleteबड़े सुन्दर और मनोरम चित्र।
ReplyDeleteहाँ क्षमाजी
ReplyDeleteमहेश्वरी साडियां भी बहुत प्रसिद्द है |होलकर के वंशजो ने वहां की इस कला को को जीवित रखने के लिए बुनकरों के लिए rehwa सोसायटी की स्थापना की जो किआज भी किले में स्थित है जहाँ जरी की सिल्क की sadiyan बनती देखि जा सकती है |
इंदौर की यादें ताजा कर दीं आपने। मनभावन चित्रों से सजी इस पोस्ट के लिए आभार।
ReplyDeleteबहुत सुंदर जानकारी ओर अति सुंदर चित्र, धन्यवाद
ReplyDeleteसुन्दर किले से परिचय कराने के लिए आभार...
ReplyDeleteइतिहास के गलियारों में आपके साथ घूमना बड़ा ही अनमोल अनुभव रहा! शोभना जी, धन्यवाद!!
ReplyDeleteबहुत खूबसूरत किला है ..देखा था हमने भी
ReplyDeleteयहाँ तस्वीरें देख कर यादें ताजा हो गयी !
वाह शोभना दी,
ReplyDeleteमन प्रसन्न हो गया, सच में !
जय हो! मन प्रसन्न हुआ!
ReplyDeleteनगर नियोजन व व्यवस्था चित्रों से ही उभर कर आ रही है. मानव का संयमित अवदान साथ हो तो प्रकृति नयनाभिराम बन जाती है.
ReplyDeleteशेयर करने के लिए धन्यवाद
ReplyDeleteले लो जानकारी