सर पर पल्ला सम्भालते सम्भालते दुल्हन बेहाल उस पर द्वार पर ही बहुत सारी रस्मे |मायके छोड़ने का दुःख अलग |
कोई दबे शब्दों में कह रहा था बिजली आ गई !बाद में दुल्हन को मालूम पड़ा की इसी साल गाँव में बिजली आई थी और दुल्हन को सब भाग्यशाली मान रहे थे की देखो लाड़ी के आने के पहले ही गाँव में बिजली आ गई इस लिए दुल्हन को सब बिजली कहने लगे |
बहुत सारी रस्मो के बाद हंसी मजाक के बाद मंडप में मुह मीठा कराने के बाद दुल्हन को जहाँ आंगन के पास में एक बैठक में बहुत सारी महिला रिश्तेदारों के साथ सुला दिया गया |
दुल्हन माँ, पिता ,दादी,दादा , भाई, बहन सबको याद कर सुबकती रही |
किन्तु सुबह की लालिमा ने, घर की बुजुर्ग महिलाओ ने ,दुल्हन को प्यार से उठाया ढेर सारे आशीर्वाद दिए बलाए ली तो दुल्हन जो बहू बन गई थी रात की बात को पीछे छोड़ सुबह के स्वागत में आतुर हो उठी थी |
सन १९७४ में देशव्यापी ट्रक बस रेल हड़ताल थी १ मई को और इसीलिए मेरी बारात को बैलगाड़ी से आना पड़ा और
उस समय मध्यमवर्गीय परिवारों में कार का प्रचलन बहुत कम था |आज ३८ साल बाद भी अपनी अनोखी बारात और दिवा लग्न (दिन का शादी का मुहूर्त )आज भी हुबहू आँखों में चित्रित है |
बड़ो के आशीर्वाद से और अपने प्रगतिवादी ,प्रयोगवादी सादगीपूर्ण ससुराल परिवार ने मेरे जीवन के ३८ सालो को खुशिया ही खुशिया दी है |
वैसे मजदूर दिवस और महाराष्ट्र दिवस 1st may को होता है और जब शादी के बाद मुंबई रहना हुआ तो हर साल शादी की सालगिरह की छुट्टी मिल ही जाती थी जिसमे बैलगाड़ी के धचके कम ही याद आते थे |गेटवे ऑफ़ इण्डिया और चौपाटी की भेल में बेचारी बैलगाड़ी की यात्रा ?
आइये कुछ गिने चुने छाया चित्र देख लिए जाय |


पाणिग्रहण संस्कार( माँ पिताजी )
आइये कुछ गिने चुने छाया चित्र देख लिए जाय |

पाणिग्रहण संस्कार( माँ पिताजी )
अब उस समय हमारे यहाँ रिसेप्शन का रिवाज नहीं था तो तो दीवाल पर जाजम लगा दी और खड़ा कर दिया
हम दोनों को |
उस समय मेरे काका ससुर अमेरिका से आये थे शादी में और उनके पास एक मात्र कलर फोटो का केमेरा था जिसमे स्लाइडमें फोटो होते थे |जिसे प्रोजेक्टर के सहारे देखते थे बाद में उन्होंने वही से ये कापिया भेजी थी |
अन्यथा कोई फोटो मिलना मुश्किल ही था क्योकि फोटोग्राफर का खर्चा बजट में नही था |

.
ReplyDeleteशोभना जी ,
आपके विवाह का अति रोचक वर्णन पढ़ा । बैलगाड़ी से आपकी विदाई यात्रा ज़रूर मजेदार रही होगी , हिचकोले खाते हुए । मजदूर दिवस के साथ आपका यह संस्मरण सदैव याद रहेगा अब।
आप दोनों को विवाह की वर्षगाँठ पर हार्दिक शुभकामनाएं। सुन्दर चित्रों के लिए आभार।
.
शोभनाजी, बैलगाड़ी की यात्रा बड़ी अच्छी लगी। गाँव की शादी का आनन्द तो हमने भी उठाया है। आपको विवाह की वर्षगाँठ पर हार्दिक बधाई।
ReplyDeleteशोभना जी सबसे पहले शादी की वर्षगाँठ पर अनेकों बधाईयाँ. बहुत अच्छा संस्मरण और चित्रों ने तो और भी चार चाँद लगा दिए. शुभकामनाएँ और आभार.
ReplyDeleteबहुत बहुत बधाई हो विवाह की वर्षगाँठ पर। हड़ताल तो अवरुद्ध करने के लिये ही होती है, जीवन फिर भी चलेगा ही।
ReplyDeleteशोभना जी आप को विवाह की वर्षगाँठ पर हार्दिक शुभकामनाएं, मेरी मां की डोली बेलगाडी मे आई थी, उन दिनो तो साईकिल भी किसी किसी के पास होती थी, आप ने बहुत सुंदर विवरण दिया शादी का, धन्यवाद
ReplyDeleteआपके विवाह का रोचक वर्णन ... सुन्दर चित्र ... विवाह की वर्षगाँठ पर बहुत बहुत बधाई ...
ReplyDeleteवैवाहिक वर्षगांठ पर हार्दिक बधाईयां...
ReplyDeleteबड़ा आनंद आया आपके साथ यादों के गलियारे में घूम कर।
ReplyDeleteविवाह की वर्षगाठ पर हार्दिक शुभकामनाएं।
1974 me mera bhee byah hua! Lekin mai bailgaadee waale gaanv se Dilli jaise mahanagar ja pahunchi!
ReplyDeleteBahut sundar sansmaran likha hai aapne!Anek shubhkamnayen!
shobhanaji ,aapko shadi ki salgirh par ham sabki or se hardik shubh-kamana pranam .ati sunder vivah ka varnan padhkar purani yado ne phir naye rang bhar diye ..... punh shubh
ReplyDeleteअब पता चला कि ब्लॉग जगत में भी बिजली कैसे आई .
ReplyDeleteशादी की ३८वीं वर्षगांठ पर आपको बहुत बहुत बधाई.
दुआ और कामना करता हूँ की आपकी बिजली की
रोशनी घर-परिवार,समाज और देश को युग युग तक रास्ता दिखाए.
आपके विवाह की यादें ताज़ा हो गईं और हमें शादी का मजेदार किस्सा मिला सचित्र । विवाह की वर्षगांठ की बधाई ।
ReplyDeletePranam Taiji, Happy Marrige anniversary. Lal Jajam.. kitna pyara laga raha tha, Aaj kal is tarh ka vivah..koi soch bhi nahi sakta. Aapki nai Kitab par aapko bahut bahut Badhaiyan hum sab ki or se.
ReplyDeleteबेहतरीन।
ReplyDeleteकोई लौटा दे मेरे बीते हुये दिन...., एक गानाभर ही है जहां न लौटने का दुख छिपा है, मगर इसे कहते हैं जिन्दादिली...., आपने बहुत सुन्दर अंदाज में अपने गुजारे दिन जगाये है, पुनः लौटा लिये हैं।
रोचक भी और रोमांचक भी।
बधाई आपको..... बहुत अच्छा लगा यादों की सुंदर पोटली खोली आपने .... सारी फोटो बहुत प्यारी हैं
ReplyDeletewaah ye adbhur najare rahe ,tasvir bhi badhiya rahi ,dhero badhai is barshgaanth ki ,rochak varnan .
ReplyDeleteअरे वाह...बधाइयां..बधाइयां
ReplyDeleteऔर आपको बहुत बहुत शुक्रिया भी कि अपने याद दिलाया...
वरना ऐसी नायाब पोस्ट अगर छूट जाती तो बहुत अफ़सोस होता....
चित्र...और विवरण...सब बहुत ही रोचकता से बयाँ किया है....आप बहुत प्यारी लग रही हैं..
और आपको बनियान पे क्यूँ एतराज है....दक्षिण में तो दूल्हा...खाली बदन रहता है.
शोभना जी ...
ReplyDeleteबहुत रोचक वर्णन विवाह का .... शादी कि सालगिरह कि बधाई ...देर से आना हुआ ...क्षमा चाहती हूँ
विवरण और फोटो बहुत अच्छे लगे ! हार्दिक शुभकामनायें आपको !
ReplyDeleteवाह, इसे कहते हैं नोस्टैल्जिक पोस्ट। हम कुर्ते के बारे में कुछ नहीं कहेंगे। शुभकामनाएं!
ReplyDeleteकल 04/05/2012 को आपकी यह पोस्ट नयी पुरानी हलचल पर लिंक की जा रही हैं.आपके सुझावों का स्वागत है .
ReplyDeleteधन्यवाद!
बहुत बहुत शुभकामनायें ..रोचक संस्मरण
ReplyDelete