Saturday, March 02, 2013

"गरीबी और मै "

गरीब कहाँ है ?
शायद यहाँ है 
कवि  की कविताओ में ,
नेताओं के भाषण में ,
स्वयम सेवी संस्थाओं के कागजो में ,
सरकारी रिपोर्टों में
या कि
आन्दोलन कर्ताओं की प्रसिद्धि में ,
और ऐसे कितने ही आयामों
में  गरीब बसता है ,
या बसाया जाता है
या कि
जैसे
सत्ता उस सर्वशक्तिमान की
तरह
हमने एक काल्पनिक
खांका बनाया है
पूजने के लिए 
गरीबी  का ?

7 comments:

  1. यहीं है गरीब ...तभी तो आज तक गरीबी ही है ....

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  2. सच में ..निकलता ही नहीं वहां से .

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  3. सच कहती कविता .

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  4. हमने एक काल्पनिक
    खांका बनाया है
    पूजने के लिए
    गरीबी का ?

    गरीब के बारे में सोचने का समय ही कहाँ है आजके देश के कर्णधारों के पास.

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  5. राजनीति में ग़रीबी बड़ी लाभकारी होती है।

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  6. जान कर के गरीब का नाम लिया जाता है .. उन पर भी राजनीति करते हैं ये नेता ....

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