राम कथा चल रही थी
रामजी को तो
वन में भेज दिया
कथाकार ने ,
बाकी कि कथा पर
नाचने लगे लोग |
रामलीला चल रही थी
दशहरे पर |
रामजी को तो भेज दिया ,
आयोजको ने
रावण को मारने
यहाँ लीला को देखकर ,
झूमने लगे लोग |
एक बुजुर्ग की
बड़ी मुद्दत से तमन्ना थी
रामराज्य बनाने की ,
रामजी को तो बैठा दिया
मन्दिर में ,
उनके रथ में बैठकर
राज्य करने लगे लोग |
शोभना चौरे
maza aa gaya..wah...
ReplyDeleteअरे वाह बहुत सुन्दर तरीके से आपने अपनी मंशा को अभिव्यक्त किया है. ..
ReplyDeleteबधाई की पात्र है आप.
थोड़े दिनों बाद आया आपके ब्लॉग पर, किन्तु ज्यादा देर भी नहीं हुई, सिर्फ दो पोस्ट नई है. इधर कुछ ज्यादा व्यस्तता है लिहाज़ा ब्लॉग भ्रमण नहीं हो पा रहा है. ..फिर भी आपके ब्लॉग पर आना नहीं छोदुँगा.
वाह.......क्या हास्य और व्यंग का मिश्रण ...........
ReplyDeleteबहुत जोरदार लिखा है
बहुत ही उम्दा अंदाज़े-बयाँ
ReplyDeleteबिलकुल सच कहा आपने यही सब होता है आजकल राम के नाम पर...
ReplyDeleteराम के नाम पर आजकल यही होता है... बहुत सुन्दर तरीके से आपने अभिव्यक्त किया है. ..
ReplyDelete