आषाढ़ की पहली
बदली बरस चुकी है
कृषक की आस
जाग चुकी है |
आओ बुवाई कर ले
सद्य नहाये खेत में|
नन्ही बिटिया
श्री गणेश
करने को है
आतुर
सौंधी माटी की
सन्देश की
दादी बैठी है
खाट पर ,खेत में
नन्हा छोटू
बैठा है हाथ में
दाने लेकर
दादी की गोद में ,
अपनी बारी का
इंतजार करता हुआ
भैया बैठा है
कुए की परेल पर
हाथ में मोबाईल लिए
आओ कोयल
अपना राग सुना जाओ
मेंढक तुम दूर हट जाओ
माँ घर में
मीठा बनाकर
इन्द्र देवता से
प्रार्थना कर रही है |
दादा ने बाबू को
नारियल दिया
बाबूजी ने
देवता को नमन किया
नारियल का पानी
माटी भिगो गया
और बुवाई का
श्री गणेश हो गया|
विषय को कलात्मक ढंग से प्रस्तुत करती है ।
ReplyDeleteवाह!
ReplyDelete..इस अभिव्यक्ति में अपनी माटी की खुशबू है.
Kitna sundar chitr kheench diya aapne! Ek gaanv,ek khet jahan poora parivaar hai..
ReplyDeletehamare krushi pradhan desh kee aashad mas kee kheto kee badee sunder jhalak dikhadee aapne.......
ReplyDeleteaabhar
जय हो, बुवाई का श्री गणेश हो गया है ।
ReplyDeleteबारिश के इन्तजार में नयी फसल की बुवाई की यह कविता सौंधी मिट्टी सा एहसास दे रही है ...!!
ReplyDeleteआषाढ़ की पहली बदली बरसने पर होने वाली रस्मों का बखूबी जिक्र किया है इस कविता में ..अब भी क्या ये सभी रस्में ऐसे ही निभायी जाती होंगी..शायद हाँ ..क्योंकि गावों में अब भी अपनी संस्कृति जीवित रखे हुए हैं .
ReplyDeleteसजीव वर्णन ।
ReplyDeleteबुवाई का सजीव चित्रण करती अच्छी रचना.
ReplyDeleteआपकी अबीव्यक्ति में भी माटी की खुश्बू आ रही ... सोंधी सोंधी खुश्बू ....
ReplyDeleteवाह सोंधी सोंधी अभिव्यक्ति.
ReplyDeletebas fasal ab lahlaha hi uthi samjhiye,itni siddat se jo lagaya gaya aur saath hi parivaar ke sampoorn sadsaya ka sahyog .sachmush sajiv ho utha sab aankhon ke aage ,itna sundar likha .
ReplyDeleteमिटटी की सोंधी खुशबू जैसे चारो तरफ फ़ैल गयी...सब कुछ साकार हो गया आँखों के आगे...
ReplyDeleteआषाढ़ की पहली
ReplyDeleteबदली बरस चुकी है
कृषक की आस
जाग चुकी है |
आओ बुवाई कर ले
सद्य नहाये खेत में|
माटी की महक आ रही है रचना से ....!!
'और बुवाई का
ReplyDeleteश्री गणेश हो गया|'
- इस आशा के साथ कि फसल अच्छी होगी.
नारियल का पानी
ReplyDeleteमाटी भिगो गया
और बुवाई का
श्री गणेश हो गया
कविता ही माटी की सुगंध से सुगन्धित हो गयी है
बहुत ही सुंदर विचार।
ReplyDelete---------
क्या आप बता सकते हैं कि इंसान और साँप में कौन ज़्यादा ज़हरीला होता है?
अगर हाँ, तो फिर चले आइए रहस्य और रोमाँच से भरी एक नवीन दुनिया में आपका स्वागत है।
बुवाई जैसे विषय को कितनी सुंदर रीती से आपने कविता में ढाला है ।
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