Tuesday, June 15, 2010

"चतुर चिड़िया '

अभी कुछ तीन चार दिन पहले चंद्रभूषण जी के ब्लाग " पहलू "पर "सुनो ,चिड़िया कुछ कहती है "बहुत ही प्यारा सा
और पक्षियों के बारे में बहुत कहता बहुत सुन्दर आलेख पढ़ा |और वाही मैंने एक टिप्पणी दी थी |

बहुत अच्छी पोस्ट |आपकी पोस्ट पढ़कर मै रूक नहीं पाईऔर लिख रही हूँ |मै इंदौर में रहती हूँ और यः पर भी करीब करीब गोरेया विलुप्त ही होती जा रही है |तीन चार साल पहले मैंने वैभव लक्ष्मी के व्रत किये थे उसमे जो पूजा के चावल होते है वि चिड़िया या और कोई पक्षी को खिलाने का कहा गया है प़र हमारे यहाँ प़र कोई पक्षी नहीं आता था , सो मै चावल हर शुक्रवार के एकत्रित कर मेरी छोटी बहन को दे देती जो दुसरे शहर में रहती है |अपने छोटे से बगीचे में चिडियों के लिए रोज पानी रखती हूँ और सौभाग्य से रोज सुबह करीब चार पांच महीने से रोज एक चिड़िया ठीक सवा सात बजे सुबह आती है पानी पीती है मुश्किल से एक मिनट घुमती है और फुर्र्र्र हो जाती है मुझे यही देखने में आनंद आता है मेरा आनंद का कोई ठिकाना नहीं है अभी तीन दिन से उसी चिड़िया के साथ एक चिड़िया और आने लगी है |शायद टिप्पणी ज्यादा लम्बी हो गई है |
धन्यवाद

और इसी पोस्ट से मुझे बचपन में सुनी अपने दादाजी की ये कहानी याद हो आई |

"चतुर चिड़िया "

एक चिड़िया एक दिन बरसात से भरे डबरे (कीचड )में गिर गई उसके पंखो पर कीचड लगने से वो उसमे से बाहेर नहीं निकल पा रही थी |सुबह सुबह का समय था |इतने में वहां से गायो को चराने वाला अपनी गायो को लेकर जा रहा था तो चिड़िया बोली -ओ गाय वाले भैया मुझे निकाल दो ?

गाय वाला भैया बोला -तुझे निकालूँगा तो मेरी गायें भाग जाएगी और फंसी हुई चिड़िया को देखकर हाथ में लाठी लेकर हँसता हुआ वहां से चला गया |

फिर वहां से भैस चराने वाला ,बकरी चराने वाले निकले सभी गाय वाले भाई की तरह वहां से निकल लिए |

बच्चो की जिद पर कहनी को बढ़ाने के चक्कर में दादाजी सभी भाइयो का जवाब विस्तार से और पशुओ पक्षियों की बोली निकलकर विस्तार बताते |

जब तक चिड़िया गड्ढे में ही फसी रहती ( अच्छा हुआ तब टेलीविजन के चैनल वाले नहीं थे नहीं तो ब्रेकिंग न्यूज बन जाती )|

वो अभी भी मनुहार कर रही थी निकलने के लिए -इतने में उधर से एक बिल्ली मौसी निकली आज उन्हें कही दूध नहीं मिला था -|

चिड़िया ने उससे विनती की -बिल्ली मौसी ,बिल्ली मौसी मुझे निकाल दो ...........

बिल्ली मन ही मन खुश आज तो मुझे बैठे बिठाये बढ़िया भोजन मिल गया |

फिर बिल्ली मौसी को कोई काम भी तो नहीं था ?

पहले तो उसने नखरे दिखाए तुझे कैसे निकालू ?

मै कीचड में भर जाउंगी .मेरे हाथ गंदे हो जायेगे आदि आदि ...

फिर चिड़िया की विनती पर पसीजने का नाटक करते हुए कहने लगी -

तुझे एक शर्त पर निकलूंगी ?

वो क्या ? बिल्ली ने पूछा ?

मै तुझे निकालूंगी तो सही पर तुझे खा जाउंगी |

अच्छा खा लेना |पहले मुझे निकाल ,फिर मुझे पानी में धोना कीचड़ भरी ही खा जाओगी क्या ?

मै जब अच्छी तरह से साफ हो जाऊ तुम मुझे खा लेना |

अच्छा !कहा !बिल्ली मौसी ने ,और दावत की ख़ुशी में बड़े उत्साह से चिड़िया को निकाला उस डबरे से ,

पास की एक छोटी सी नदी थी उसमे नहलाया और फिर पानी के बाहर निकाल लिया और सुस्ताने बैठ गई जरा सा ?

इतने में तो जैसे ही चिड़िया के थोड़े से पंख सूखे वह फुर्र से उड़कर वहां नदी किनारे लगे पेड़ पर जा बैठी |

बिल्ली मौसी के तो होश उड़ गये वो नीचे से उसे टकटकी लगाये देखती रही |

और चिड़िया पेड़ पर बैठी बैठी बोली बिल्ली मौसी से -

टुकुर मुकुर क्या देखती -पहले तो खाया नहीं ??

और चिड़िया रानी एक डाली से दूसरी ,दूसरी से तीसरी पर फुदकने लगी .....



19 comments:

  1. बहुत अच्छी प्रस्तुति।

    ReplyDelete
  2. billi ka munh khisiya gaya...shabash chidiya rani

    ReplyDelete
  3. Kitni sundar,bachhon kee-si masoom,prastuti hai!

    ReplyDelete
  4. बहुत सुन्दर कहानी सुनाई है आपने, मैंने भी ये कहानी अपने दोनों बच्चों को सुनाई है वो बड़े खुश हुए!

    ReplyDelete
  5. kahani aur tippani dono hi dilchsp hai .kuch baate aadat ki tarah nazar aane lagti hai aur uski jhlak roj dekhne ko milti hai .sundar .kahani padhne se bachpan ki yaad taza ho gayi .

    ReplyDelete
  6. aap ki tippani padhi -ashachary hua ki india ke shahron mein chidiyan nahin hain.
    -itni garami hai yahan परन्तु hamare yahan to chidiyan aati hain...सुबह ५ बचे से bahar aas paas इतनी चहचाहट होती है..बस मालूम चल जाता है सुबह होने वाली है.
    ---कहानी बहुत अच्छी है .
    बड़ी ही चतुर निकली नन्ही चिड़िया जो बिल्ली को भी चकमा दे दिया!
    शिक्षा भी देती है ki अपनी रक्षा स्वयं ही करनी पड़ती है.अपनी बुद्धि से अपनी चतुराई से.

    ReplyDelete
  7. अच्छी कहानी , चतुर चिड़िया की

    ReplyDelete
  8. इस कहानी से हम यही सीख पाए कि मुसीबत के समय धैर्य नहीं खोना चाहिए और हमेशा अपने दिमाग का इस्तेमाल करते रहना चाहिए.

    ReplyDelete
  9. :) :) यह कहानी मैंने भी बचपन में सुनी थी...

    बहुत अच्छी प्रस्तुति

    ReplyDelete
  10. बिल्ली मौसी कितनी चालक हों ... चिड़िया भी बहुत मासूम नहीं होती
    बचपन की कहानी फिर से पढना अच्छा लगा ..!!

    ReplyDelete
  11. बचपन मे मा से सुनी थी ये कहानी धन्यवाद दोबारा सुनाने के लिये

    ReplyDelete
  12. बचपन की कहानी याद दिला दी आपने...सच कितनी भी मुसीबत हो..धैर्य खोये बिना उस से निकलने की जुगत लगते रहें...इतनी अच्छी तरह समझा दिया,इस नन्ही चतुर चिड़िया ने

    ReplyDelete
  13. इस सुन्दर और शिक्षाप्रद कहानी के लिए आभार.

    ReplyDelete
  14. चिड़िया बहुत भाती है बचपन में ।

    ReplyDelete
  15. बहुत सुन्दर कहानी. शोभना जी, मुझे खुशी है कि मेरे बगीचे में खूब गौरैयां आती हैं. मैं भी रोज़ उन्हें दाना-पानी देती हूं. अब तो ये गौरैयां घूमते-घामते ड्राइंगरूम तक आ जाती हैं, यही नहीं अपना घोंसला भी हमारे बरामदे में बनाने की तैयारी में दिखती हैं.

    ReplyDelete
  16. कहानी बहुत बढिया और शिक्षाप्रद है!...चिडिया जैसी चतुराई से आप मुश्किल से मुश्किल परिस्थिति से भी बाहर निकल सकतें है...जब कि बिल्ली जैसी मूर्खता से हाथ और आंखें मलने के सिवाय आप कुछ नहीं कर सकतें!

    ReplyDelete
  17. चतुर चिड़िया से एक animation याद आ गया, जिसे दूरदर्शन पर काफी पहले दिखाया जाता रहा. films division द्वारा produce किया गया... आप भी देखें ...

    http://www.youtube.com/watch?v=VK_TnmNJqao

    ReplyDelete
  18. आपकी कहानी अच्छी लगी दिल्ली में तो अब चिडिया दिखती ही नही पर रांची में मेरी छोटी भाभी रोज चिटियों के लिये रात की बची रोटी चूरा कर के डाल देती है । ोर ६-७ चिडिया आकर बडे मजे से रोटी खाती हैं कई बाकर कबूतर भी आते हैं । किसी दिन रोटी डालने में देर हो जाये तो चूंचूंचूचू करके खूब शोर मचाती हैं कि जल्दी डालो ।

    ReplyDelete