Sunday, April 08, 2012

बस कुछ यू ही ?

बहुत दिनों बाद अप सबसे मिलना हो रहा है सभी को स्नेह भरा नमस्कार |


बरसो से
कटोरा सामने रखकर
नुक्कड़ पर बैठी
कभी भी बूढी
न होने वाली
बुढिया

और
बरसो से
फुटपाथ पर
चाय और सिगरेट
बेचती
असमय ही
बूढी होती
बुढिया
मानो ,
अकर्मण्य सरकार का
लम्बा खोखला जीवन



17 comments:

  1. बहुत सुन्दर अभिव्यक्ति।

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  2. शोभना जी!...स्वागत है आपका!...बहुत दिनों बाद आप आई और इतनी सुन्दर रचना का उपहार दिया....शुभकामनाएं!

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  3. Bade dinon baad aapko padhna bahut achha laga!

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  4. मार्मिक स्थिति समाज की, विकास की।

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  5. दीदी,
    सचमुच बहुत लंबा बीत गया.. मगर सारी शिकायतें दूर हो गयीं इस कविता से!! दिल को छूती हुई रचना!!

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  6. मानो ,
    अकर्मण्य सरकार का
    लम्बा खोखला जीवन

    Bahut Badhiya...Gahan Abhivykti...

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  7. अकर्मण्यता लंबे जीवन को खोखला कर देती है. बेमानी बना देती है...

    अत्यंत सार्थक सन्देश. आभार इस सुंदर प्रस्तुति को हम सब तक पहुंचाने के लिये.

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  8. सुन्दर प्रस्तुति

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  9. सच्‍चाई बयां करती पंक्तियां ...

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  10. बहुत अच्छी प्रस्तुति.............

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  11. स्वागत है आपका लंबे समय के बाद ... प्रभावी उपस्थिति दर्द की है आपने ...

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  12. आसपास बिखरी सच्चाई के दो रूप ...

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  13. बहुत कुछ बदल रहा और बहुत कुछ नहीं भी !

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  14. sach baaten to bahut kahi jaati hain lekin vote batorne ke baad sab apne mein kho jaate hai..aas-paas ka dikhte hi nahi ki kya hora hai..

    samajik bidambana ka chintansheel yartharth chitran prastuti hetu aabhar!

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  15. लंबे समय बाद आईं है वापस पर लेखनी की धार कायम है । स्वागत है ।

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