बाजार की सुविधा में ,सुविधा के बाजार में तन से धनवान मन से कंगाल हो गये हम ।बिलकुल सही कहा है ....
जब सुविधा पर शीश झुकाया, अपना मान छोड़ बैठे हम।
Suvidha ke gulam ho gaye ham..
सुविधाओ के आगोश में पलते हम ,सुविधाओ के जंगल में खो गये हम ,सच कहा.
दुरुस्त कहा है ... मन से कंगाल हो गए हैं सब आज ...
आपकी यह रचना कल मंगलवार (बृहस्पतिवार (06-06-2013) को ब्लॉग प्रसारण पर लिंक की गई है कृपया पधारें.
तन से धनवान मन से कंगाल होगये हम ।य़ही है हम सुविधा-भोगियों की कहानी ।
बाजार की सुविधा में ,सुविधा के बाजार में
ReplyDeleteतन से धनवान मन से कंगाल हो गये हम ।
बिलकुल सही कहा है ....
जब सुविधा पर शीश झुकाया, अपना मान छोड़ बैठे हम।
ReplyDeleteSuvidha ke gulam ho gaye ham..
ReplyDeleteसुविधाओ के आगोश में पलते हम ,
ReplyDeleteसुविधाओ के जंगल में खो गये हम ,
सच कहा.
दुरुस्त कहा है ... मन से कंगाल हो गए हैं सब आज ...
ReplyDeleteआपकी यह रचना कल मंगलवार (बृहस्पतिवार (06-06-2013) को ब्लॉग प्रसारण पर लिंक की गई है कृपया पधारें.
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ReplyDeleteय़ही है हम सुविधा-भोगियों की कहानी ।