Thursday, September 18, 2014

बस कुछ यूँ ही ----

यादो के साथ पीछे जाना सुखद है ,
और वो सुख प्रत्यक्ष में दंश है।


एक अदद आश्रय पाकर निराश्रय हो  गए हम,
तुम्हारे घर में बेगाने हो गए अपनापन ढूंढते ढूंढते।

आये थे ख़ुशियो के भागीदार बनने ,
खारे  पानी के साथी बनकर रह गए हम ।




1 comment:

  1. बीती ताहि बिसार दे

    और

    जीवन का यह पृष्ठ पलट मन
    इस पर जो थी लिखी कहानी
    वह अब तुझको याद जुबानी
    बार बार क्यों पढ़कर इसको
    व्यर्थ गँवाता जीवन के क्षण

    ReplyDelete