यादो के साथ पीछे जाना सुखद है ,
और वो सुख प्रत्यक्ष में दंश है।
एक अदद आश्रय पाकर निराश्रय हो गए हम,
तुम्हारे घर में बेगाने हो गए अपनापन ढूंढते ढूंढते।
आये थे ख़ुशियो के भागीदार बनने ,
खारे पानी के साथी बनकर रह गए हम ।
और वो सुख प्रत्यक्ष में दंश है।
एक अदद आश्रय पाकर निराश्रय हो गए हम,
तुम्हारे घर में बेगाने हो गए अपनापन ढूंढते ढूंढते।
आये थे ख़ुशियो के भागीदार बनने ,
खारे पानी के साथी बनकर रह गए हम ।
बीती ताहि बिसार दे
ReplyDeleteऔर
जीवन का यह पृष्ठ पलट मन
इस पर जो थी लिखी कहानी
वह अब तुझको याद जुबानी
बार बार क्यों पढ़कर इसको
व्यर्थ गँवाता जीवन के क्षण