मन की बात
करीब एक साल से ब्लॉग पर कोई पोस्ट नही डाली कुछ पारिवारिक व्यस्तता और कुछ फेसबुक का चलन
आज ब्लॉग का समय याद आया तो महसूस हुआ की और कुछ न कर पाये चलो फिर से शुरुआत की जय
तो एक छोटी सी शुरुआत ही सही .......
बहुत सालो पहले जब हम पत्र पत्रिकाये पढ़ते थे बहुत सरे गुड मैनर्स के लेख लिखे जाते थे ज़ैसे किसी के घर जाना है तो कैसा व्यवहार करना चाहिए ,किसी के घर मेहमान बनकर गए है तो अपने साथ क्या क्या सामान लेना चाहिए ताकि मेजबान को तकलीफ न हो आदि आदि ऽअज समय बदल गया है लोगो के घर आन अ जाना बहुत कम हो गया है किसी काम से गांव से शहर भी आते है भी आते है तो लोग आवागमन के साधन के चलते कोई भी रिश्तेदार के घर रुकना पसंद नही करते .मोबाईल से बात कर लेते है सारी दुनिया मुठी में आ गई याने की मोबाईल में सारी इन्फर्मेशन उससे लेकर अपना काम कर लेते है ,
और इस वजह से मोबाईल अति व्यस्त रहते है पर क्या मोबाईल के भी कुछ मैनर्स होते है की सामने परिवार के लोग बैठे हो बातें कर रहे हो आप है की वाट्सअप और फेसबुक के चुटकुलो को पढ़कर हंस रहे है क्या आको लगता है की कुछ तो मैनर्स होने चाहिए ?
करीब एक साल से ब्लॉग पर कोई पोस्ट नही डाली कुछ पारिवारिक व्यस्तता और कुछ फेसबुक का चलन
आज ब्लॉग का समय याद आया तो महसूस हुआ की और कुछ न कर पाये चलो फिर से शुरुआत की जय
तो एक छोटी सी शुरुआत ही सही .......
बहुत सालो पहले जब हम पत्र पत्रिकाये पढ़ते थे बहुत सरे गुड मैनर्स के लेख लिखे जाते थे ज़ैसे किसी के घर जाना है तो कैसा व्यवहार करना चाहिए ,किसी के घर मेहमान बनकर गए है तो अपने साथ क्या क्या सामान लेना चाहिए ताकि मेजबान को तकलीफ न हो आदि आदि ऽअज समय बदल गया है लोगो के घर आन अ जाना बहुत कम हो गया है किसी काम से गांव से शहर भी आते है भी आते है तो लोग आवागमन के साधन के चलते कोई भी रिश्तेदार के घर रुकना पसंद नही करते .मोबाईल से बात कर लेते है सारी दुनिया मुठी में आ गई याने की मोबाईल में सारी इन्फर्मेशन उससे लेकर अपना काम कर लेते है ,
और इस वजह से मोबाईल अति व्यस्त रहते है पर क्या मोबाईल के भी कुछ मैनर्स होते है की सामने परिवार के लोग बैठे हो बातें कर रहे हो आप है की वाट्सअप और फेसबुक के चुटकुलो को पढ़कर हंस रहे है क्या आको लगता है की कुछ तो मैनर्स होने चाहिए ?
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