Saturday, July 01, 2017

pavs

आज १ जुलाई अंतराष्ट्रीय ब्लॉग दिवस की अनेक बधाई।
सोशल मिडिया पर  आजकल बहुत संदेस  आते है पुराने लोगो की बातें  सहेज कर रखे.
बिलकुल सही भी है इसी क्रम में मुझे अपने मायके में बहुत पुराणी क्किताबो में सं उन्नीस सौ अठाईस की माधुरी पत्रिका का बिशेषांक मिला (फ़िल्मी माधुरी नहीं )०जिसके सम्पादक थे पंडित कृष्णबिहारी मिश्र
मेनेजिंग एडिटर पंडित रामसेवक त्रिपाठी
जिसका वार्षिक मूल्य विदेश के लिए सिर्फ १ रुपया था।
उसी अंक में से महाकवि देव की पावस रचना
  1. पावस 
सहर सहर सोंधो, सीतल समीर डोले
घहर घहर गहन, घेरि के घहरिया
झहर झहर झुकि, झीनी झरि लायो देव
छहर  छहर छोटी, बूंदन छहरिया
हहर हहर हँसि हँसि, के हिंडोरे ,चढ़ी
थहर थहर तन,, कोमल थहरिया
फहर फहर होत  पीतम को पीतपट
लहर लहर होति, प्यारी की लहरिया।

13 comments:

  1. महा कवि देव की सुन्दर रचना पढवाने का आभार .

    ReplyDelete
  2. आपको भी ढेर सारी बधाई, यह सहेजी गई बातें अनमोल होती हैं

    ReplyDelete
  3. १९२८ की मैगजीन वो बहुत कीमती है उसे संभाल कर रखे |

    ReplyDelete
  4. पढ़वाने का आभार... उत्कृष्ट रचना

    ReplyDelete
  5. पढ़वाने का आभार
    मेरे ब्लॉग की नई रचना पर आपके विचारों का इन्तजार
    हिंदी ब्लॉगिंग दिवस की शुभकामनाएँ :)

    सादर 
    संजय भास्कर

    ReplyDelete
  6. अंतरराष्ट्रीय हिन्दी ब्लॉग दिवस पर आपका योगदान सराहनीय है. हम आपका अभिनन्दन करते हैं. हिन्दी ब्लॉग जगत आबाद रहे. अनंत शुभकामनायें. नियमित लिखें. साधुवाद.. आज पोस्ट लिख टैग करे ब्लॉग को आबाद करने के लिए
    #हिन्दी_ब्लॉगिंग

    ReplyDelete

  7. हिन्दी ब्लॉगिंग में आपका योगदान सराहनीय है , आप लिख रही हैं क्योंकि आपके पास भावनाएं और मजबूत अभिव्यक्ति है , इस आत्म अभिव्यक्ति से जो संतुष्टि मिलेगी वह सैकड़ों तालियों से अधिक होगी !
    मानती हैं न ?
    मंगलकामनाएं आपको !
    #हिन्दी_ब्लॉगिंग

    ReplyDelete
  8. हाँ जी मानती हूँ satish जी

    ReplyDelete
  9. हाँ जी मानती हूँ satish जी

    ReplyDelete
  10. बहुत आभार आपका इतना पुराना साहित्य न सिर्फ सहेजा है ,,, सबको पढवाया भी है ...

    ReplyDelete
  11. बहुत अच्छी रचना पढ़ने को मिली ...

    ReplyDelete