Tuesday, August 01, 2017
बस कुछ यूं ही
अभी अभी कुछ ख्याल
भिगो गए मन को
जैसे सावन की झड़ी
भिगो गई तन को
रविवार की खामोश
सुबह
सप्ताह के
जीवंत
कितने ही मौन
का उत्तर दे गई।
2 comments:
रश्मि प्रभा...
August 1, 2017 at 9:40 PM
ख़ामोशी हो या शोर, जवाब मिल ही जाता है
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दिगम्बर नासवा
August 2, 2017 at 1:38 PM
ख्यालों की उड़ान हमेशा अनेकों उत्तर दे जाती है ...
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ख़ामोशी हो या शोर, जवाब मिल ही जाता है
ReplyDeleteख्यालों की उड़ान हमेशा अनेकों उत्तर दे जाती है ...
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