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Tuesday, March 24, 2009
'नदी '
रंगों को जोड़ने मे,
कई बार रंग
बदरंग हो गये
हा
रंगों का मिलान
एक नया
रंग दे गया
मुठ्ठी की रेत से
सबंध
आखो की बीच की
नाक
आपस मे
उन्हें मिलने नही देती
नदी के किनारे
कहा मिलते है ?
शायद
नदी के अंत मे
1 टिप्पणियाँ:
अनिल कान्त
said...
विचारों से ओत प्रोत रचना
मेरी कलम - मेरी अभिव्यक्ति
March 24, 2009 at 4:13 PM
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शोभना चौरे
वेदना तो हूँ पर संवेदना नहीं, सह तो हूँ पर अनुभूति नहीं, मौजूद तो हूँ पर एहसास नहीं, ज़िन्दगी तो हूँ पर जिंदादिल नहीं, मनुष्य तो हूँ पर मनुष्यता नहीं , विचार तो हूँ पर अभिव्यक्ति नहीं|
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मेरे काव्य - संग्रह 'शब्द भाव '
प्राप्ति के लिए संपर्क करें :shobhana.chourey@gmail.com
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