Tuesday, August 01, 2017

बस कुछ यूं ही

अभी अभी कुछ ख्याल
भिगो गए मन को
जैसे सावन की झड़ी


भिगो गई तन को
रविवार की खामोश
सुबह
सप्ताह के
जीवंत
कितने ही मौन
का उत्तर दे गई।