Monday, December 28, 2015

NARI TERE KITNE ROOP

नारी तेरे कितने रूप
अभी पिछले हफ्ते गांव जाना हुआ मेरे मायके का गांव
वो गलिया जो अक्सर मन में रहा करती थी उनसे फिर मुलाकात करना बड़ा सुखद रहा। मौसम बदलते है फिर इतने सालो में तो बहुत कुछ बदल गया विकास के बढ़ते चरण स्पष्ट देखे जा सकते है।
हर घे में एक मोटर सायकल अनिवार्य सी हो हो गई हो भी क्यों न ?काम आसान हो जो गए है पेट्रोल मंहगा हो गया है ऐसा कहि लगता नही ?मोबाईल पर खर्च करना फिजूल खर्ची बिलकुल भी नही माना  जाता जैसे हम मानते है। सबकी अपनी जरूरते है।
और भी बहुत चीजे है जिनके बारे में जानकर देखकर कुछ सुखद और कुछ दुखद आश्चर्य होता है।
इन्ही के बीच एक दादी अपने ७ वर्षीय पोते के साथ हमारे घर में किरायेदार के रूप में रहती है खेतो में मजदूरी करके बच्चे को अंग्रेजी माध्यम स्कुल में पढ़ा रही है बच्चे के पिता घर का किराया दे देते है और स्कुल की फ़ीस दे देते है और अपनी पत्नी और बच्चे के साथ शहर में रहता है पत्नी जिसने अपने सौतेले बेटे को रखना इसलिए नामंजूर किया की जब उसकी अपनी माँ उसे छोड़कर दूसरे के साथ भाग गई तो मैं  क्यों राखु ?
इसको ?
दादी से बच्चे का अपमान ,उसकी अवहेलना देखा नही गया और वह अपने कुछ रिश्तेदारो की मदद से इस गांव में लड़ प्यार से बच्चे को पाल रही है। जिस उम्र में उसे सहारे  की जरुरत है वो सहारा बन रही है।

Wednesday, December 16, 2015

mn ki bat

अतीत कितना खूबसूरत होता है ये हर लेखक या हर व्यक्ति महसूस करता है और अपनी अभिव्यक्ति अभिव्यक्त करता है अपने अपने माध्यम से ऐसा ही एक दौर ब्लॉग का हुआ करता था जब हम समाज ,घर ,आँगन अपने आसपास हुए रोजमर्रा के भावो  व्यक्त किया करते थे। साथ ही यात्रा  संस्मरण ,पारिवारिक संस्मरणों का आनंद लिया   करते थे। आज फेसबुजैसे माध्यम ने हमे सिर्फ राजनितिक हलचल तक सिमित कर मनभेद की ओर अग्रसर कर दिया है, और ब्लॉग लेखन अतीत हो गया है।