नारी तेरे कितने रूप
अभी पिछले हफ्ते गांव जाना हुआ मेरे मायके का गांव
वो गलिया जो अक्सर मन में रहा करती थी उनसे फिर मुलाकात करना बड़ा सुखद रहा। मौसम बदलते है फिर इतने सालो में तो बहुत कुछ बदल गया विकास के बढ़ते चरण स्पष्ट देखे जा सकते है।
हर घे में एक मोटर सायकल अनिवार्य सी हो हो गई हो भी क्यों न ?काम आसान हो जो गए है पेट्रोल मंहगा हो गया है ऐसा कहि लगता नही ?मोबाईल पर खर्च करना फिजूल खर्ची बिलकुल भी नही माना जाता जैसे हम मानते है। सबकी अपनी जरूरते है।
और भी बहुत चीजे है जिनके बारे में जानकर देखकर कुछ सुखद और कुछ दुखद आश्चर्य होता है।
इन्ही के बीच एक दादी अपने ७ वर्षीय पोते के साथ हमारे घर में किरायेदार के रूप में रहती है खेतो में मजदूरी करके बच्चे को अंग्रेजी माध्यम स्कुल में पढ़ा रही है बच्चे के पिता घर का किराया दे देते है और स्कुल की फ़ीस दे देते है और अपनी पत्नी और बच्चे के साथ शहर में रहता है पत्नी जिसने अपने सौतेले बेटे को रखना इसलिए नामंजूर किया की जब उसकी अपनी माँ उसे छोड़कर दूसरे के साथ भाग गई तो मैं क्यों राखु ?
इसको ?
दादी से बच्चे का अपमान ,उसकी अवहेलना देखा नही गया और वह अपने कुछ रिश्तेदारो की मदद से इस गांव में लड़ प्यार से बच्चे को पाल रही है। जिस उम्र में उसे सहारे की जरुरत है वो सहारा बन रही है।
अभी पिछले हफ्ते गांव जाना हुआ मेरे मायके का गांव
वो गलिया जो अक्सर मन में रहा करती थी उनसे फिर मुलाकात करना बड़ा सुखद रहा। मौसम बदलते है फिर इतने सालो में तो बहुत कुछ बदल गया विकास के बढ़ते चरण स्पष्ट देखे जा सकते है।
हर घे में एक मोटर सायकल अनिवार्य सी हो हो गई हो भी क्यों न ?काम आसान हो जो गए है पेट्रोल मंहगा हो गया है ऐसा कहि लगता नही ?मोबाईल पर खर्च करना फिजूल खर्ची बिलकुल भी नही माना जाता जैसे हम मानते है। सबकी अपनी जरूरते है।
और भी बहुत चीजे है जिनके बारे में जानकर देखकर कुछ सुखद और कुछ दुखद आश्चर्य होता है।
इन्ही के बीच एक दादी अपने ७ वर्षीय पोते के साथ हमारे घर में किरायेदार के रूप में रहती है खेतो में मजदूरी करके बच्चे को अंग्रेजी माध्यम स्कुल में पढ़ा रही है बच्चे के पिता घर का किराया दे देते है और स्कुल की फ़ीस दे देते है और अपनी पत्नी और बच्चे के साथ शहर में रहता है पत्नी जिसने अपने सौतेले बेटे को रखना इसलिए नामंजूर किया की जब उसकी अपनी माँ उसे छोड़कर दूसरे के साथ भाग गई तो मैं क्यों राखु ?
इसको ?
दादी से बच्चे का अपमान ,उसकी अवहेलना देखा नही गया और वह अपने कुछ रिश्तेदारो की मदद से इस गांव में लड़ प्यार से बच्चे को पाल रही है। जिस उम्र में उसे सहारे की जरुरत है वो सहारा बन रही है।
2 टिप्पणियाँ:
आखिर है तो दादी ही न.... मां सगी न हुई तो क्या हुआ, दादी की छांव है न..
नमन
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