Wednesday, October 15, 2008

रंग

रिश्तो के अहसास ,बताने से नही होते
उनकी महक महसूस की जाती है |
फूलो की खुशबूआनंद देती है
नाम उसको सार्थक करता है |
नाम उसके रंगों की खोज करता है ,
कोई रंग सुकून देता है ,कोई आभास भर देता है |
रंगों के नाम किसने दिए ?
शायद अहसासों ,आभासों और विश्वासों ने ?
और सचमुच ये अहसास ही जीवन को पूर्ण कर गये |

Saturday, October 04, 2008

कैसी पूजा ?कैसी संस्क्रती ?कैसी श्रद्धा ?


मन्दिरों में बेहिसाब चढावा ,
तीस से .मी .की करोडो "चुननिया ?
करोडो के पंडालों में ,थिरकते ,लाखो लोग |
विदेशो में पूजा में ,
पारम्परिक भारतीय पहनावा ,
भारत में 'आरतियों 'में
वेदेशी पहनावा |
शर्धा ऐसी की
बुढे माँ= बाप
तरसते है सहारे को ,
और मन्दिरों मे ,जुता स्टेंड पर ,
"सेवा "देकर धार्मिक" शर्धा ",से
ओतप्रोत है श्रद्धालु |

'बेठे ठाले '

व्यस्तताओ का बहाना बनाकर ,
अपनों से दूर होते जा रहे है हम लोग |
समय न होने पर भी ,
"बिग बॉस "के निठ्लो को देखकर ,निठ्ले
होते जा रहे है हम लोग |

Friday, October 03, 2008

''समझ''


अपनी  महत्वाकांक्षाओं  को ,
अपना ज्ञान बनाने की भूल कर बैठता है आदमी |
और अपनी इस समझ से ,
सदा दुखी होता रहता है आदमी |