मै लिखती रही
चाँद सितारों पर
मै लिखती रही
समुंदर के किनारों पर
मै भरती रही पन्ने
मजदूर के पसीने की
फुहारों पर !
मै लिखती रही
बदलती सरकारों पर
मै भरती रही पन्ने
रोज़ होते रहे
बलात्कारों पर !
मैंने पूछा ?
चाँद तारो से ,समुंदर के किनारों और
मजदूरो से ?
तुमने कभी पढा मुझे ?
मैंने पूछा?
सरकारी मन्त्रियों और
बलात्कारियों से ,
तुमने कभी पढ़ा मुझे ?
मै बहसती रही
दूसरो के साथ |
शब्दों के तीर
एक दूसरे पर चलाकर |
क्या?
आतंक फैलाने वालो
आतकवादियोंने
कभी पढ़ा मुझे ?????????/
चाँद सितारे ,
मुझे रौशनी देने वाले ,
समुंदर के किनारे,
मुझे सहारा देने वाले ,
मजदूर
मुझे घर देने वाले
मुझे पढे या न पढे ?
फिर भी रिणी
हूँ मै उनकी |
फिर भी
मुझे पढना ही होगा ?
मै पढूंगी -
मै पढना चाहती हूँ ?
चाँद तारो की रौशनी को ,
किनारों की सच्चाई को ,
मजदूरों की मजबूरी को ,
मै समझना चाहती हूँ ,
मंत्रियो के
उस सिलेबस को
जो कभी भी
वो पूरा नही पढ़ते
और
बैठ जाते है परीक्षा देने !
और
मै पढना
चाहती हूँ ?
जिन्होंने
अनर्थ किया है
मेरे देश का
उन
बलात्कारियों और आतंकी
की जाति; - को ?
क्या आप मेरा साथ देगे ??????????
10 टिप्पणियाँ:
jaroor shobhanaa jee ham aapake saath hain sundar abhivyakti shubhakaamanaayen
बहुत सुंदर कविता
धन्यवाद
Is ladayee ko na jane kabse lad rahee hun..! Mere is blogpe jayen:
http://lalilekh.blogspot.com
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Saath hee paryawaran tatha recycling ke liya athak koshishen kar rahee hun..
http://chindichindi-thelightbyalonelypath.blogspot.com
Aap mere sansmaran:
http://shamasansmaram.blogspot.com
is blog pe padhen..wo updated hai..
Tippanee ke liye bohot dhanywad!
Behad achha kaam kar rahee hain...sath hun..jo qanoon aise darindon ko sharan de rahe hain, unke baraeme "gazab qanoon" tehet jaankaaree milegee...intezaar hai!
Aapko apne pariwaarka khoob anand mile yahee kamna aur dua karti hun...!
भाव पूर्ण............ शशक्त अभिव्यक्ति .......... गहरी रचना है
ek steek prashan kiya hai aapne...
kabhi kabhi shabd padh liye jaate haiN,,,lekin bhaav an-sune reh jaate haiN......
har sahitya-premi aapke is nek aahwaan ke sath hai.
---MUFLIS---
Bilkul saath dengay .... hum aapke saath hai
wah, bahut sundar tarike se apni abhivyakti ko vyakt kiya he, saath hi sabko ek karne ki bhi apeel he.
sadhuvad
इस सुन्दर कविता के लिए साधुवाद. प्रस्तुतीकरण का तरीका पसंद आया.
kyo nahi ,hum aapke saath hai aur aese nek raho pe jaroor .kuchh rachana aapki nahi bhoolati . aaj bhi jahan me hai .kuchh sawal aape jayaz hote hai .achha likha hai .
आप सभी का ह्रदय से आभार
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