Sunday, July 19, 2009

ऐसा क्यों है ?

कभी कभी दिमाग में , और मन में हमेशा कुछ प्रशन उठते रहते है कि लोगो कि जिन्दगी और उनसे जुड़े कार्यो में इतना विरोधाभास क्यों है ?


ऐसा क्यों होता है ?
,अधिकतर
सबका रूप निखारने वाली ,स्वयम डरावनी क्यों है?
जिम का मालिक इतना मोटा क्यों होता है?
फल बेचने वाले इतना कड़वा क्यों बोलते है?
बादाम बेचेवालो का दिमाग सुस्त क्यों होता है?
बैंक में कम करने वालेकी मुस्कराहट इतनी महंगी क्यों होती है ?
दूसरो का घर बनाने वाले वाले खुद बेघर क्यों होते है ?
बेशुमार अन्न पैदा करने वाले किसान ही भूखे पेट आत्महत्या क्यों करते है ?
जीवन भर दूसरो के लिए महा म्रत्युन्जय के जप पाठ करने वालो को दिन रात अपनी म्रत्यु का भय क्यों होता है ?
जीवन भर शादी कराने वाले पंडित कि बेटी आजीवन क्वारी क्यों रह जाती है ?
हर विश्व सुन्दरी और क्रिकेट खिलाडी समाज सेवा का व्रत लेते है ,फिरभी गली गली बच्चे अनपढ़ क्यों है?
शादी में लाखो का खर्च करके भी तलाकों कि बढ़ती संख्या क्यों है?
बेटिया लक्ष्मी का रूप है पर घर में जन्मते ही बाप का bojh kyo hai .......

13 टिप्पणियाँ:

स्वप्न मञ्जूषा said...

इन सभी प्रश्नों का उत्तर यदि मिल जाए
तो स्वर्ग धरा पर उतर आये..
अच्छा लगा पढ़ कर..

Harshvardhan said...

aapki chinta jaayaj hai ...... lekh padkar jaankari mili........

रश्मि प्रभा... said...

अक्सर इन सवालों से मैं भी गुजरी हूँ, शायद विपरीत परिस्थितियाँ जीवन का कटु सत्य हैं ..................

वन्दना अवस्थी दुबे said...

आपकी इस जायज़ चिन्ता में मै भी दिल से शामिल हूं.

अमिताभ श्रीवास्तव said...

wah ji wah/ aapne to us sachchai ko bakhana he jo hamare charo aor rahati he aour ham soch yaa dekh nahi pate/ darasal ye aapki umda soch aour kuchh naya dhoondhne ka upkram he/ ati sundar/

M VERMA said...

सहज और स्वाभाविक प्रश्न -- सदा अनुत्तरित मगर.

Urmi said...

बहुत बढ़िया लगा पड़कर! मैं आपकी इस चिंता में आपके साथ शामिल हूँ!

दिगम्बर नासवा said...

अगर ऐसा न हो तो shrishti के sanchaalak को koun poochega ............ एक jwalant prashn है आपका पर shaayad इसका uttar किसी के पास नहीं

k.r. billore said...

shobhanaji,aapke blog ke safal ek varsh,aapke vicharo ka manthan sarahaniya hai ,parmatma aapke soch ki ,vicharo ki poudh ko lahlahaata rahe ,aur hame padhane ka aanand milata rahe ......hardik shubhechhao ke sath .........kamana mumbai....

k.r. billore said...

shobhanaji,aapke blog ke safal ek varsh,aapke vicharo ka manthan sarahaniya hai ,parmatma aapke soch ki ,vicharo ki poudh ko lahlahaata rahe ,aur hame padhane ka aanand milata rahe ......hardik shubhechhao ke sath .........kamana mumbai....

रचना त्रिपाठी said...

वाह! बहुत बढ़ियां चिन्तन।
शायद इस पर अच्छी तरह विचार किया जाय तो समाज में कुछ सुधार हो जाय।
बधाई।

satish said...
This comment has been removed by the author.
satish said...

धन्यवाद...मैं तो इसका जवाब नहीं दे सकता...लेकिन हो सकता है कि आपके सभी सवालों के जवाब शायद ही कोई महान विद्वान होगा इस धरा पर हो जो दे पाए...