देश के वीर सिपाहियों को और जो अपने देश की रक्षा करने में
शहीद होकर वीरता को प्राप्त हुए है ऐसे वीरों को शत -शत नमन | स्वतंत्रता दिवस
के अवसर पर सभी को अनेक शुभकामनाए और बधाई |
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कुछ यू ही कुछ ऐसे ही ??
गरीब कभी अपनी गरीबी का रोना नहीं रोता
अमीर कभी अपनी अमीरी का बखान नहीं करता |
बी. पि .एल कार्ड गरीब की सरकारी पहचान
मोटा चंदा अमीर की सरकारी पहचान |
सरकार तो पहरेदार हो गई है हमारी
न हम गरीब बन पाए और न अमीर को छु पाए
बच्चों को पालने की दरकार है
बूढों को सम्भालने की दरकार है
जो ये काम न कर सके
उनकी तो जवानी ही बेकार है
हम जानते है आशा दुखो का कारण है |शायद दूसरों से आशा लगाने को ही हमने अपनी नियति बना लिया-
अपने अतीत का गुणगान करते थकते नहीं ?
जब अवसर मिला तो
अपने ही सुखो में उलझे रहे
और आज फिर से
आशा लगाये बैठे है कि ,
आज के बच्चे ही हमारे देश के
भावी कर्णधार है
हम भूल गये?
हम भी तो कभी बच्चे थे
और ये गीत हर साल स्वतंत्रता दिवस और गणतंत्र दिवस पर गाते थे ,सुनते थे -
हम लाये है तूफान से कश्ती निकाल के
इस देश को रखना मेरे बच्चों सम्भाल के .......
वन्दे मातरम.
शोभना
Friday, August 13, 2010
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23 टिप्पणियाँ:
और आज फिर से
आशा लगाये बैठे है कि ,
आज के बच्चे ही हमारे देश के
भावी कर्णधार है
हम भूल गये?
हम भी तो कभी बच्चे थे
और ये गीत हर साल स्वतंत्रता दिवस और गणतंत्र दिवस पर गाते थे ,सुनते थे -
हम लाये है तूफान से कश्ती निकाल के
इस देश को रखना मेरे बच्चों सम्भाल के .......
बस यही तो भूल गये हैं और हमारे बच्चे भी भूल जायेंगे एक दिन हमारी ही तरह्…………और ये दर्द पीढी दर पीढी इसी तरह फ़ैलता रहेगा मगर हल किसी के पास तब भी नही होगा।
सच है हमने भी आज़ादी का दर्द कहाँ समझा है..यदि हमारी पीढ़ी ने समझा होता तो आज यह हाल नहीं रहा होता ...
वाह! क्या बात है, बहुत सुन्दर !
जब तक हम कमर कसकर कार्य करने के लिए तैयार नहीं होंगे तब तक कुछ भला नहीं होगा। आपकी कविता पसन्द आयी।
आज के बच्चे ही हमारे देश के
भावी कर्णधार है
हम भूल गये?
हम भी तो कभी बच्चे थे
और ये गीत हर साल स्वतंत्रता दिवस और गणतंत्र दिवस पर गाते थे ,सुनते थे -
Aaj hamara desh jaisa bhi hai,ham sabhi uske zimmedaar hain...
Time has changed but I feel that patriots were always and will be always..
We stand tall becoz majority is united
गरीब रोता है, फूट-फूट कर रोता है, यह अलग बात है कि हम सुन नहीं पाते.
भारतीय समस्याओं पर कविता का प्रहार।
सच है एकदम सच..
बच्चों को पालने की दरकार है
बूढों को सम्भालने की दरकार है
जो ये काम न कर सके
उनकी तो जवानी ही बेकार है...
बिलकुल सही ..!
स्वतंत्रता दिवस की हार्दिक बधाई!!!!!
shobhna ji
achchi lagii ap ki yae kavita
हम लाये है तूफान से कश्ती निकाल के
इस देश को रखना मेरे बच्चों सम्भाल के .......
....बस यही तो भूल गये हैं और हमारे बच्चे भी भूल जायेंगे एक दिन हमारी ही तरह्…………और ये दर्द पीढी दर पीढी इसी तरह फ़ैलता रहेगा मगर हल किसी के पास तब भी नही होगा।
... AAj yahi dard saalta hai jinke andar abhi deshprem umadta hai.. .
chintansheel post..
स्वतंत्रता दिवस की हार्दिक बधाई!!
अच्छी रचना, सही मौके पर सही-सही बात कह दी आपने
very nice shobhanaji
स्वाधीनता दिवस की अनन्त शुभकामनाएं.
स्वाधीनता दिवस की अनन्त शुभकामनाएं.
ये गीत पीडी के साथ ख़त्म हो जाएँग..... आज ये दिन एक छुट्टी से बॅड कर कुछ नही ...
आज के बच्चे ही हमारे देश के
भावी कर्णधार है
हम भूल गये?
हम भी तो कभी बच्चे थे
और ये गीत हर साल स्वतंत्रता दिवस और गणतंत्र दिवस पर गाते थे ,सुनते थे -
सच है एकदम
स्वतंत्रता दिवस की हार्दिक बधाई!!!!!
स्वगरीब कभी अपनी गरीबी का रोना नहीं रोता
अमीर कभी अपनी अमीरी का बखान नहीं करता |
....आप का कथन बिलकुल सही है!....स्वतंत्रता दिवस पर बहुत बहुत बधाई!....
दी ....
नमस्ते
स्वतंतरता दिवश की बहुत बहुत बधाई
बहुत ही अच्छा प्रस्न पुछा है आप ने हम सभी से इस रचना के माध्यम से की हर साल हम बस खाली भाषण और उपदेश ही पास करते रहते है
नयी पीढ़ी को हमारे बुजुर्गों ने हमें और हम अपने बच्चों को .....
बच्चों को पालने की दरकार है
बूढों को सम्भालने की दरकार है
जो ये काम न कर सके
उनकी तो जवानी ही बेकार है
बहुत सुन्दर रचना इस अवसर पर ,मै इन्दोर उज्जैन और भोपाल गयी रही दस दिनो तक आज आई हू आपको हार्दिक बधाई स्वतंत्रता दिवस की .
Shobhnaji, kya hamare kandhe itne kamjor the ,ya hum iska vajan uthane ke kabil na the ,karegi faisla aane wali pidhi-kyo hum itna khamosh the ? kayar na the kaatar ho dekhte rahe,kya hum gane walo ki toli ke sirf harkare the ----kamna billore mumbai ,,,,,
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