Sunday, August 29, 2010

कभी कभी शब्द ही नहीं होते आभार प्रकट करने के .....

बात शायद इतनी महत्वपूर्ण लगे ?किन्तु जीवन में कभी कभी अरे !कभी कभी क्यों ?हमेशा ही अच्छी बाते होती रहती है पर जयादा तर हमे कुछ थोडा सा बुरा ही याद रह जाता है और हम उसी का बखान किया करते है |अभी पिछले हफ्ते मै बेंगलोर से लौटी करीब ३३ घंटे कि रेल यात्रा करके, उज्जैन |उज्जैन से इंदौर बस से आना था जैसे ही स्टेशन के बाहर आये बस तैयार खड़ी थी इंदौर आने के लिए |रिक्शा वाले ने फटाफट बस कि डिक्की मे बस के कंडक्टर के साथ सामान रखा और कडक्टर ने कहा आप लोग बैठिये बस चलने वाली है \मैंने अपने पतिदेव से कहा -जरा चाय तो पी लेते |उज्जैन मे चाय बहुत अच्छी मिलती है |फिर रेलवे कि चाय पीने के बाद तो और ज्यादा अच्छी लगती है |इन्होने कहा -अब घर चलकर ही पियेगे एक से डेढ़ घंटा ही तो लगेगा |मै भी मन मसोस कर बैठ गई |और करीब पांच मिनट के बाद
बस भी चलने लगी तभी मेरी खिड़की के पास ठक - ठक कि आवाज हुई मैंने खिड़की का कांच थोडा सरकाया तो देखा
बस का कंडक्टर एक छोटे से डिस्पोजल गिलास मे चाय लिए खड़ा था और उसने कहा -जल्दी ले लीजिये |
मुझे लगा शायद इन्होने कहा होगा ?ये टिकट लेने मे व्यस्त थे |
आपने अपने लिए चाय नहीं मंगवाई ?
नहीं मैंने तो चाय का नहीं कहा ?मेरे हाथ मे चाय का गिलास देखकर इन्होने कहा |
उस कंडक्टर मेरी बात सुन ली थी जब मैंने चायपीने कि इच्छा जाहिर कि थी और तुरंत ही सामने कि दुकान से मुझे चाय लाकर दे दी |
मेरे लिए वह चाय अमृत तुल्य ही थी जो इतने अपनेपन से उसने लाकर दी थी \इंदौर आने के बाद मैंने उसे अपना फर्ज समझ कर पैसे दिए जो उसने बड़ी ही मुश्किल से लिए |
मेरे लिए ये स्नेहभरा क्षण अविस्मरनीय बन गया |

29 टिप्पणियाँ:

संगीता स्वरुप ( गीत ) said...

आज भी ऐसे मानवीय संवेदना से भरे लोग हैं ...यह जानकारी निश्चय ही सुखद है ..

Unknown said...

आप बहुत अच्छी है ना दी .....
इसी लिए ...
एसे अविस्मर्णीय क्षण अक्सर घटते है तो बड़ा सकूं मिलता है .....

रचना said...

sneh anjaan raasto sae chal kar hi aataa haen

राज भाटिय़ा said...

जी आप की बात से सहमत हुं, ऎसा कभी कभी होता है,ओर उस समय हमारे दिल से दुआ निकलती है उस इंसान के लिये.

vandana gupta said...

आपकी रचनात्मक ,खूबसूरत और भावमयी
प्रस्तुति के प्रति मेरे भावों का समन्वय
कल (30/8/2010) के चर्चा मंच पर देखियेगा
और अपने विचारों से चर्चामंच पर आकर
अवगत कराइयेगा।
http://charchamanch.blogspot.com

प्रवीण पाण्डेय said...

भगवान करे कि ऐसे अच्छे लोग सदा आपके मन की बात भी सुन लिया करें।

nilesh mathur said...

इस दुनिया में अभी भी मानवता और अपनत्व ज़िंदा है !

आपका अख्तर खान अकेला said...

bhn shobhnaa ji bhut khub aapne zindgi ko pozetiv triqe se sochaa he or yhi hona bhi chaahiye sch khaa andhere to bhut km hote hen kyonki us bqt hm o jaat hen lekin zindgi men to ujaale hi ujaale hen inki khushiyaaa hi hm dekh len to ji lenge bhut khub aapne mujhe in alfaazon me nya sbq pdhaa diya he . akhtar kan akela kota rajsthan

rashmi ravija said...

बहुत ही अच्छी लगी ये पोस्ट...ऐसी ही छोटी छोटी बातें ज़िन्दगी को सुन्दर बनाती हैं...आपने याद रखा...और हम सबसे बांटा भी...सब आनंदित हुए

P.N. Subramanian said...

आपकी पोस्ट के लिए क्या लिखूं समझ नहीं आ रहा है. हमें भी शब्द नहीं मिल रहे हैं इसलिए आभार.

अजय कुमार said...

प्रेरक संस्मरण ।

रचना दीक्षित said...

कभी कभी छोटी छोटी बातें ऐसे अविस्मर्णीय अनुभव दिल में दर्ज कर जाते है जिन्हें भुलाना नामुमकिन हो जाता है.

kshama said...

Kitna achha lagta hai jankar ki,duniyame aise log maujood hain!
Aapki is baat parse mujhe ek baat yaad aa gayi,jise kabhi likhungi!

Udan Tashtari said...

ऐसे स्वर्णिम पल जीवन को माईने देते हैं..अच्छा लगा संस्मरण पढ़.

Asha Lata Saxena said...

जब इतनी आत्मीयता किसी बाहर वाले से मिलती है
तब मन प्रसन्नता से भर जाता है और वे पल
बहुत अमूल्य हो जाते है |संस्मरण बहुत अच्छा लगा |बहुत बहुत बधाई
आशा

वाणी गीत said...

ऐसे गिने चुने लोंग ही हैं जो मानवीय मूल्यों को जिन्दा रखे हुए हैं ..!

ASHOK BAJAJ said...

बहुत अच्छी प्रस्तुति।
धन्यवाद !

डॉ. महफूज़ अली (Dr. Mahfooz Ali) said...

आज भी इंसानियत ज़िंदा है.... यह जानकर बहुत अच्छा लगा...

संगीता पुरी said...

जानकर अच्‍छा लगा !!

अजित गुप्ता का कोना said...

इस दुनिया में मानवता और प्रेम ऐसे ही लोगों से बचा है। बहुत ही अच्‍छी पोस्‍ट।

अनुपमा पाठक said...

silence is the best form of appraisal, at times!

ZEAL said...

ये स्नेहभरा क्षण हम सबके साथ शेयर करने के लिए आभार। काश ऐसे ही सब लोग हो जाएँ।

दिगम्बर नासवा said...

कभी कभी ऐसी सुखद अनुभूति पर इंसान मौन हो जाता है .... सच कहा आपने ...

ज्योति सिंह said...

lekh padhte huye mere man me bhi sangeeta ji kahi baat hi uthi thi ,jeene ki umeed isi tarah badhti hai .uttam .

hem pandey said...

ऐसे संस्मरण आस्था जगाते हैं

डॉ. मोनिका शर्मा said...

आज भी ऐसे मानवीय संवेदना क्षण अक्सर घटते है.....प्रेरक पोस्ट...

anshumala said...

जी हा कई बार ऐसी छोटी छोटी घटनाए ही हमें एहसास दिलाती है की दुनिया में अपनत्व और मानव होने का एहसास अभी भी लोगों में है |

shikha varshney said...

Maanveey mulya abhi baki hain ..achhee lagi ye post .

सतीश पंचम said...

पहले भी इसे पढ़ चुका हूँ...लेकिन आज फिर से दुबारा पढ़ा।

अविस्मरणीय होते हैं ऐसे क्षण।।