जब मौन मुख्रण होता है ,
शब्द चुक जाते है |
तब अहसासों की प्रतीती में ,
पुनः वाणी जन्म लेती है|
और शब्दों की संरचना कर
भावनाओ से परिपूर्ण हो
जीवन को जीवंत करती है |
एक पौधा रोपकर ,
खुशी का अहसास
देती है |
एक पक्षी को दाना चुगाकर ,
सन्तुष्टी का अहसास देती है |
एक दीपक जलाकर
मन के तंम को दूर करती है |
और इसी तरह दिन ,सप्ताह,
महीने और वर्षो की यह यात्रा
जीवन को सत्कर्मो का ,
संदेस दे देती है |
और फ़िर
मौन
शान्ति दे देता है |
शब्द चुक जाते है |
तब अहसासों की प्रतीती में ,
पुनः वाणी जन्म लेती है|
और शब्दों की संरचना कर
भावनाओ से परिपूर्ण हो
जीवन को जीवंत करती है |
एक पौधा रोपकर ,
खुशी का अहसास
देती है |
एक पक्षी को दाना चुगाकर ,
सन्तुष्टी का अहसास देती है |
एक दीपक जलाकर
मन के तंम को दूर करती है |
और इसी तरह दिन ,सप्ताह,
महीने और वर्षो की यह यात्रा
जीवन को सत्कर्मो का ,
संदेस दे देती है |
और फ़िर
मौन
शान्ति दे देता है |
24 टिप्पणियाँ:
यात्रा पूर्ण होने पर जगता है मौन.. आनंद की वर्षा होती है।
...सुंदर भाव जगाती अभिव्यक्ति.
एक दीपक जलाकर
मन के तंम को दूर करती है |
और इसी तरह दिन ,सप्ताह,
महीने और वर्षो की यह यात्रा
जीवन को सत्कर्मो का ,
संदेस दे देती है |
और फ़िर
मौन
शान्ति दे देता है |
...bahut sundar maun ko mukhrit karti jiwan sandesh deti rachna..aabhar
सुन्दर रचना, अपने अनुभव को खूबसूरती से शब्दों में पिरोया है, सचमुच मौन की ताकत को तो सिर्फ महसूस ही किया जा सकता है!
अंतिम शान्ति तो मौन ही है .... मौन में अपने स्वर उठने लगते हैं ... सुन्दर रचना .
हर कर्म की समाप्ति मौन पर ही होती है, कर्मों के बीच का विश्राम।
maun is rachna ka rasaswadan ker rahi hun.....
vatvriksh ke liye bhejen rasprabha#gmail.com per parichay aur tasweer ke saath
सच है मौन में बहुत सुख हैं। अच्छी रचना।
मौन भी मुखर हो गया।
बाल दिवस की शुभकामनायें.
आपकी रचनात्मक ,खूबसूरत और भावमयी
प्रस्तुति कल के चर्चा मंच का आकर्षण बनी है
कल (15/11/2010) के चर्चा मंच पर अपनी पोस्ट
देखियेगा और अपने विचारों से चर्चामंच पर आकर
अवगत कराइयेगा।
http://charchamanch.blogspot.com
मौन को बहुत बेहतरीन ढंग से परिभाषित किया है सुंदर अभिव्यक्ति
हम भी सोच रहे थे यह मौन व्रत क्यों. अब बात समझ में आई. मौन शांति दायक तो है. बहुत ही सुन्दर रचना. आभार
मौन..अपने अन्दर कितना कुछ समेटे हुए है!..सुंदर रचना!
मौन में शब्दों से कहीं ज्यादा शक्ति है।
सुंदर रचना के लिए बधाई।
सुनदर रचना.
मौन का मुखरित होना ही जीवंतता का प्रतीक है ...बहुत खूबसूरत रचना ...
और फिर मौन शांति देता है ...
मुखरित वाणी का मौन बहुत भाया !
achchi soch !!!! aise hi likhti rahen. shubhkaamna
.
मौन पर कविता लिखकर मौन को तोड़ने का अंदाज़ बहुत निराला लगा । मौन पर व्यक्त इस सुन्दर रचना के लिए आभार !
.
अद्भुत रचना है...बधाई.
नीरज
अच्छी रचना .......
पानी में ऊपर नीचे अठखेलियाँ सी करती नन्ही मछली की तरह .......
अनुभूतियों को पकड़ने का सुन्दर सा प्रयास
behad sunder.
मौन तो ताकतवर होता है ।
बहुत सही ..... मौन में शक्ति और शांति दोनों ही पा जाते है....
सुंदर भावाभिव्यक्ति
शान्ति की तलाश में आदमी कहाँ कहाँ भटकता है.. वह तो अंदर ही है..
अच्छी कविता..
मनोज खत्री
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यूनिवर्सिटी का टीचर'स हॉस्टल -३
करीब एक माह बाद आप आईं। पढने-लिखने वाले रचनाकारों के साथ यह अच्छा होता है कि वे अपनी मौजुदगी रखते हैं। देर से ही सही किंतु लेखन होता रहता है। 'मौन'सचमुच शांति देता है। वैसे भी मौन को हमने एक शक्ति का रूप दिया है। उसकी अपनी बेमिसाल महत्ता है। मौन ने हमेशा कुछ रचा है, जन्मा है। मौन सबसे बडा पथप्रदर्शक भी है जो इस रचना के साथ भी पूरा पूरा न्याय करता दीख रहा है। कुछ न लिख पाने किंतु लिखे को दुबारा नया पन दे कर मौजुदगी देना राहत देता है।
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