बसंत पंचमी की हार्दिक शुभकामनाये ।
शीत की बंद कोठरी के द्वार से
अंधेरो को उजाले में लाया है बसंत ।
महकती कलियों के लिए भोरो का ,
प्रेम संदेश लाया है बसंत .
पीले से मुख पर बसंती आभा
बिखेरता हुआ आया है बसंत .
किसानो के लिए फसलो की सोगात
लेकर आया है बसंत .
जीवन को जीवन देने ,
फ़िर से आया है बसंत .
और पढ़ते हुए बच्चो के लिए ,
देवी माँ सरस्वती का वरदान
लेकर आया है बसंत ।
एक कविता
" भोजन मंत्र "
ब्रह्मार्पणं ब्रह्म हविर्ब्रह्माग्नौ ब्रह्मणा हुतम्।
ब्रह्मैव तेन गन्तव्यं ब्रह्मकर्मसमाधिना॥
बसंत
शीत की बंद कोठरी के द्वार से
अंधेरो को उजाले में लाया है बसंत ।
महकती कलियों के लिए भोरो का ,
प्रेम संदेश लाया है बसंत .
पीले से मुख पर बसंती आभा
बिखेरता हुआ आया है बसंत .
किसानो के लिए फसलो की सोगात
लेकर आया है बसंत .
जीवन को जीवन देने ,
फ़िर से आया है बसंत .
और पढ़ते हुए बच्चो के लिए ,
देवी माँ सरस्वती का वरदान
लेकर आया है बसंत ।
एक कविता
" भोजन मंत्र "
ब्रह्मार्पणं ब्रह्म हविर्ब्रह्माग्नौ ब्रह्मणा हुतम्।
ब्रह्मैव तेन गन्तव्यं ब्रह्मकर्मसमाधिना॥
5 टिप्पणियाँ:
सुंदर अभिव्यक्ति ... बसंत पंचमी की शुभकामनायें
बासंती कविता ...शुभकामनाएँ.
बसंत की मोहक अनुभूति
अमूमन वसंत ऐसे ही आता है , इस बार मौसम कुछ बदला है .
सुन्दर गीत वसंत का !
बसंती बयार सभी के लिये नए मायने ले कर आती है.
मनमोहक प्रस्तुति.
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