Monday, December 16, 2013

"आ अब लौट चले "

                                                         

एक वैवाहिक समारोह में मेरी एक चचेरी भतीजी मिली   बहुत दिनों बाद ,पारिवारिक कुशल क्षेम पूछने के बाद वह मेरा हाथ पकड़ कर एक तरफ ले गई भीड़ से दूर लेकिन बड़ी स्थिर और शांत चिंत लग रही थी मेरे मन में बड़ी उथल पुथल मच गई थी एक उस मिनट में। वहाँ पड़ी कुर्सी पर बैठकर उसने मुझे कहा- आपने देखा बुआ !उस लाल शर्ट वाले भाई साहब को जो कि मेरी भतीजी के मौसी के लड़के थे ,मैंने कहा उसमे देखना क्या वो तो हर कार्यक्रम  में आते है हमेशा मिलते है समाज में बड़ा नाम है उनका , बहुत सारी  सामाजिक जिम्मेवारिया निभाई है उन्होंने ,सबसे हंसकर मिलते है और फिर तुम्हारे तो भाई ही है न ?उसमे नया क्या है ?
वही  तो आपको बताने जा रही हूँ आज तक वो जब सबसे गले लगाकर मिलते रहते थे आज तो सबको नमस्कार कहकर सबसे मिल रहे है और आज मुझे, मेरे मन में शांति मिल रही है कि जब वो मुझे गले लगाकर मिलते थे तो मुझे उस लिजलिजे अहसास से मुक्ति मिली -आज उन्होंने नमस्कार कहकर मुझसे पूछा और छोटी कैसी हो ?
ओह तो ये बात है,तूने तो पहले कभी बताया नहीं ?
कैसे बताती बुआ वो मेरे भाई जो थे ?
भाई ऐसे होते है क्या ?मैंने कहा
बुआ ;वो कभी कभार ही मिलते थे न ?
लेकिन बुआ कोई बात नहीं आप ज्यादा सोचो नहीं? शायद उन्होंने आमिर खान का प्रोग्राम देखकर ,या कि आज कल जितने तथाकथित बड़े लोगोका जो हश्र हो रहा है ,या कि अपनी हिटलर बीबी कि डांट खाकर अपनी हरकतो को सुधार लिया हो ? देर आये दुरुस्त आये। इतना कहकर भतीजी मुझे हाथ पकड़कर भीड़ में वापिस ले आई फिर भी मैंने पूछा ?तूने मुझे ये सब क्यों बताया जब तेरे पास ही समाधान है या फिर तूने उन्हें उनकी हरकतो के लिए माफ़ कर दिया ?
उसने खाने कि प्लेट हाथ में लेते हुए कहा -बुआ आप ब्लॉग शलाग लिखते  हो तो लोगो को बता सको कि अब लोग सम्भलने ,लगे है और न न न आप चिंता न करो अब ऐसी हरकतो पर  सबक सिखाना भी हम जान गई है
और मैं  प्लेट पकडे -पकडे सोचती और सोचती रह गई इस परिवर्तन के अहसास को।

5 टिप्पणियाँ:

प्रवीण पाण्डेय said...

सामाजिक मर्यादा बनी रहे, हर स्थितियों में।

rashmi ravija said...

अच्छा है ऐसे लोग अब संभल जाएँ . समाज में ऐसे गलीज़ लोग भरे पड़े हैं .मुझे याद है मेरी एक सहेली , स्कूल में थी. उसे एक बूढ़े मास्टर पढ़ाने आते थे . माता-पिता जोर देते कि पैर छूकर प्रणाम करो और वो उसकी पीठ पर ऐसे हाथ फेर कर आशीर्वाद देते कि वो चिढ जाती.
एक रिश्तेदार है ,उसने गृहप्रवेश की लम्बी पूजा करवाई. पुजारी बार बार बहाने से उसका हाथ स्पर्श करे. घर की बहु, वो कुछ कह भी न सके.
अच्छा है, अब सारी लडकियाँ/महिलाए तुरंत विरोध करना शुरू करें .

दिगम्बर नासवा said...

बदलाव तो आना लाजमी है अब ... समय रहते ही ऐसे लोगों को भी एकसास हो जाना चाहिए देर होने से पहले ...

अजित गुप्ता का कोना said...

लोगों के नीयत में परिवर्तन आया है तो अच्‍छा संकेत है।

वाणी गीत said...

समाज भरा पड़ा है ऐसी ओछी मानसिकता वाले लोगों से , लड़कियों को सावधान रहना होगा और लड़कों को सलीका सीखना होगा !