Monday, March 01, 2021

सूखा पेड़

तुमने देखा है मुझे 
हरा भरा
वो मेरा सिंगार
किया था प्रकृति ने 
मेरी छाँव में 
सुख पाया ऐसा तुम कहते हो
मैंने तुम्हारी भूख मिटाई
ऐसा भी तुम ही कहते हो
अनगिनत वर्षो से जिया
तुम्हारे लिए
ऐसा भी तुम ही कहते हो
आज थक गया हूँ 
झुर्रियां दिखने लगी है
बेतहाशा मेरी
फिर भी मैं
झुका नहीं
क्योकि तुमने
ही मुझमे प्राण फूंके
यह कहकर
कि
ठूंठ का भी
अपना सौंदर्य होता है।
शोभना चौरे

5 टिप्पणियाँ:

संगीता स्वरुप ( गीत ) said...

बहुत सही । हरे भरे को तो सब पसंद करते , बात तो तब है कि ठूँठ को महत्त्व दिया जाए । इंसानी रिश्तों में भी इस बात का ध्यान रखना चाहिए ।

निरुपमा said...

कितना अच्छा लिखा दीदी.. ठूंठ पर भी सकारात्मक भाव 👏👏👏👏

Shivam Mishra said...

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rakesh said...

हमेशा की तरह बहुत बढ़िया, बहुत बहुत ही सुंदर सराहनीय सृजन। Om Namah Shivay Images

संजय भास्‍कर said...

एकदम सही