एक राहगीर अमराई में, आम ढूंड रहा था
एक शिक्षक कक्षा में, खास ढूंड रहा था
आम तो दलालों ने पकने रख दिए ,
और खास तो मोबाइल में व्यस्त हो गए|
एक मचुअरा तालाब में मछली ढूंड रहा था
एक पंडित मन्दिर में मूर्ति ढूंड रहा था,
तालाब की मछली ठेकेदार ले गए
और मन्दिर की मूर्ति विढेशी ले गए |
एक धार्मिक सत्संग में धर्म खोज रहा था
एक भूखा लंगर में रोटी खोज रहा था,
धर्म तो प्रवचन और कथाओं में घूम हो गया
रोटी तो चलते चलते दिल्ली पहुँच गई |
एक साधू जुनगले में शान्ति धुंध रहा था
और में टीवी समाचार में , समाचार खोज रही थी,
साधू की शान्ति तोह पर्यटक ले गए
और मैं समाचार सुनकर मुर्छित हो गई||
आस्था ने बहुत सुंदर शीर्षक भेजा है
तो कविता का शीर्षक है ,
"खोज "
धन्यवाद आस्था
Sunday, July 20, 2008
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2 टिप्पणियाँ:
aapki kavita ke shirshak ke liye pehla sujhav - " Khoj "
Thanks for your input Tonu
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