सपनो और अपनों की कोई
परिभाषा नही होती ,
जेसे हवा सिर्फ़ महसूस होती है
ठीक
अपनों का व्यवहार सिर्फ़
महसूस किया जाता है
ठंडी हवा ,गर्म हवा
महसूस होते ही
हम अपने घर की खिड़की बंद कर देते है
कितु रिश्तो के गर्म और ठंडे
होने पर अपना सयम खो देते है
हवा और रिश्ते हमारे प्राण है ,
फ़िर ये खिड़की क्यो ?
परिभाषा नही होती ,
जेसे हवा सिर्फ़ महसूस होती है
ठीक
अपनों का व्यवहार सिर्फ़
महसूस किया जाता है
ठंडी हवा ,गर्म हवा
महसूस होते ही
हम अपने घर की खिड़की बंद कर देते है
कितु रिश्तो के गर्म और ठंडे
होने पर अपना सयम खो देते है
हवा और रिश्ते हमारे प्राण है ,
फ़िर ये खिड़की क्यो ?
1 टिप्पणियाँ:
सही कहा आपने सपनों और अपनों की कोई परिभाषा नहीं होती परंतु उनका खुद से जुड़े होने का अहसास होता है और यही अहसास सपनों और अपनों की स्वयं परिभाषा गढ़ता है।
merichopal.blogspot.com/
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