Saturday, May 09, 2009

"उनकी माँ '

आँगन के नल पर
ढेर बर्तन धोती हुई माँ |
आज भी कुए से
पीने का भरकर लाती माँ |

घर के पिछवाडे
उपले थापती माँ |

गैस की टंकी
कुछ दिन और चल जाय ,
इसीलिए
चूल्हे पर रोटी सकती माँ |

रगड़ रगड़ कर मेरी कमीज को
सफ़ेद झग करती मेरी माँ |

मै पढ़ लिख कर बडा आदमी
बन जाऊ
उसके लिए अनेक व्रत उपवास
करती हुई मेरी माँ |

सर्दियों में कई बार
रात को मेरा लिहाफ
मुझे ओढा कर
मेरा माथा सहलाती मेरी माँ |

सुदूर गाँव से
रोटी की तलाश में आई
तीन पत्थर के चूल्हे पर
रोटी सेककर खिलाकर
मजदूरी पर निकल जाती है
उनकी माँ |

दिन भर उसकी ग्रहस्थी की
रखवाली करते
तीनो भाई बहन
रास्ते मे आने जाने वाले
मन्दिर का प्रसाद दे जाते
साँझ को खुशी से
माँ को प्रसाद देते
प्यार से सीने से
लगा ले लेती उनकी माँ |

महिला दिवस पर
चाहे कोई अवार्ड
न मिला हो
फ़िर भी मेरे लिए ,
उनके लिए
महान है,
हमारी माँ ........................

17 टिप्पणियाँ:

अजित गुप्ता का कोना said...

शोभनाजी

बहुत सशक्‍त रचना है। लीक से हटकर, जीवन के सत्‍य को दर्शाती रचना पढ़कर सुखद अनुभूति हुई। मेरी बधाई स्‍वीकारे।

Chandan Kumar Jha said...

बहुत ही भावपूर्ण रचना.

गुलमोहर का फूल

प्रिया said...

bahut acchi lagi maa... bilkul sacchi maa

अमिताभ श्रीवास्तव said...

MAA............................................................................................................................................................................................................................................................................................................................................................................sabko uska pyaar milta rahe//bas yahi likha jaa sakta he/

नवनीत नीरव said...

bahut hi bhavpurn rachana.Behad hi khoobsoorat tarike se aapne iska chitra khincha hai.

रश्मि प्रभा... said...

महिला दिवस पर
चाहे कोई अवार्ड
न मिला हो
फ़िर भी मेरे लिए ,
उनके लिए
महान है,
हमारी माँ ........................ एक बेहतरीन रचना, ईश्वर का वरदान है माँ ,हमारी माँ

योगेन्द्र मौदगिल said...

अरे वाह शोभना जी, बहुत ही सुंदर भावाभिव्यक्ति,, साधुवाद स्वीकारें..

हरकीरत ' हीर' said...

सुन्दर भावों की अभिव्यंजना .....!!
छोटी सी कविता में माँ के सारे रूप दर्शा दिए आपने ....और इन अंतिम पंक्तियों.....में तो आपने माँ को सच - मुच अवार्ड दिला दिया ....

महिला दिवस पर
चाहे कोई अवार्ड
न मिला हो
फ़िर भी मेरे लिए ,
उनके लिए
महान है,
हमारी माँ ........................लाजवाब......!!

Urmi said...

आपको मेरी शायरी पसंद आई और आपकी सुंदर टिपण्णी के लिए बहुत बहुत शुक्रिया !
बहुत ही ख़ूबसूरत और भावपूर्ण रचना लिखा है आपने!
आप मेरा ये ब्लॉग परियेगा ! मैंने मात्री दिवस पर लिखा है!
http://urmi-z-unique.blogspot.com

निर्मला कपिला said...

maa to bas maa hai us jesa koi nahi ho saktaapne apki abhivyakti us ke liye sab upharon se badh kar hai shubhkaamnayen

hempandey said...

माँ द्वारा किया गया संघर्ष, माँ द्वारा दिया गया स्नेह और दुलार, माँ की ममता सभी कुछ कविता में है.बदले में माँ प्रतिदान या अवार्ड नहीं चाहती यही उसकी महानता है.

हें प्रभु यह तेरापंथ said...

शोभनाji चौरे
समन्दर का कही छोर नही होता

बच्चो की किलकारी शोर नही होता

प्यार के दिखवे बहुत है शोभनाजी

मॉ की ममता जैसा कुछ और नही होता।

हमारी कविताओ/ शब्दो का जोश इसलिए बढ पाता है कि मॉ का आर्शिवाद है।

आपने बहुत ही सरल भाषा मे मॉ कि सुन्दर व्यख्या कि है-आभार

हे प्रभु यह तेरापन्थ और मुम्बई टाईगर कि और से मगल भावना।

rajesh singh kshatri said...

फ़िर भी मेरे लिए ,
उनके लिए
महान है,
हमारी माँ ........................

बहुत ही भावपूर्ण रचना.....

शोभना चौरे said...

आप सभी का ह्रदय से आभार मानती हु .
आप सभी का धन्यवाद .
शोभना चौरे

Anonymous said...

बहुत भावपूर्ण रचना ..
माँ का उसके बच्चों के प्रति प्रेम,भावना, तपस्या और योग -- इन्हें कोई उपमा नहीं दी जा सकती ,न ही कोई अवार्ड ....
आपको एक और अच्छी कृति के लिए बधाई

mark rai said...

very nice.....
something different..here..
congratulation....

Mumukshh Ki Rachanain said...

सुंदर भावाभिव्यक्ति,,

बधाई स्वीकारें.

चन्द्र मोहन गुप्त