कभी कभी मन असहज हो जाता है, तब बहुत कुछ उमड़ घुमड़ कर आता है बेतरतीब सा उसे समेटना नही चाहता मन |
तो बस कुछ यू ही अहसास ताजा हो जाते है .........
वो छोड़ जाते है रोनके
हम तो शून्य भी साथ ले जाते है |
कहने को जिन्दगी हंसती रही
पर आँखों में आंसू तैर जाते है |
चुराते है दिल वो ऐसे
धडकन के लिए भी मोहताज हो जाते है |
अब तू ही बता दे ओ आसमा
किस गली में वो ठहर जाते है |
माना की चाँद आज रौशनी दे गया
सितारे ही सदा साथ निबाह जाते है \
बरसो बरस साथ देने का वादा करने वाले
कुछ ही पल में अकेला छोड़ जाते है \
Thursday, October 08, 2009
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25 टिप्पणियाँ:
कभी कभी मन असहज हो जाता है, तब बहुत कुछ उमड़ घुमड़ कर आता है बेतरतीब सा उसे समेटना नही चाहता मन.........aur yahi bikhri bhawnayen jane kitna kuch kah jati hain
कहने को जिन्दगी हंसती रही
पर आँखों में आंसू तैर जाते है |
बहुत खुब जी
धन्यवाद
कहने को जिन्दगी हंसती रही
पर आँखों में आंसू तैर जाते है |
rashmi ji kitni sundar baate kah gayi ,sachmuch dil ko chhune wali rachana hai .
कहने को जिन्दगी हंसती रही
पर आँखों में आंसू तैर जाते है |
ye line bhool gayi thi likhna ,bahut sundar .
असहज मन और आँखों के छिपे आंसू ही लिखवा गए हैं कविता भी ...भावपूर्ण कविता ...
कितना सुन्दर!!
बरसो बरस साथ देने का वादा करने वाले
कुछ ही पल में अकेला छोड़ जाते रहे........
SACH KAHA . DIL TODNE WAALE AISE HI JULM DHAATE HAIN .... SUNDAR ABHIVYAKTI HAI ...
अब तू ही बता दे ओ आसमा
किस गली में वो ठहर जाते है |
bahut sunder tareeke se bhav ulahne ka darshatee kavita
sundar rachna...
चुराते है दिल वो ऐसे
धडकन के लिए भी मोहताज हो जाते है |
bahut sundar bhav bhari rachana..
padh kar achcha laga..badhayi
भावपूर्ण अभिव्यक्ति!! उम्दा!!
कहने को जिन्दगी हंसती रही
पर आँखों में आंसू तैर जाते है |
चुराते है दिल वो ऐसे
धडकन के लिए भी मोहताज हो जाते है |
भावम्य अभिव्यक्ति है सुन्दर शुभकामनायें
वो छोड़ जाते है रोनके
हम तो शून्य भी साथ ले जाते है |
कहने को जिन्दगी हंसती रही
पर आँखों में आंसू तैर जाते है |
yeh panktiyan dil ko chhoo gayi.........
bahut hi achchi kavita.......
सुन्दर रचना.
बरसो बरस साथ देने का वादा करने वाले
कुछ ही पल में अकेला छोड़ जाते है जब मन यूँ ही होता है तभी इस तरह से लिखा जाता है ..अच्छे लगे आपके यह एहसास
वो छोड़ जाते है रौनकें
हम तो शून्य भी साथ ले जाते है |
कहने को जिन्दगी हंसती रही
पर आँखों में आंसू तैर जाते है |
काफी गहरे भावों से रची बसी एक उम्दा कृति.
बधाई.
चन्द्र मोहन गुप्त
जयपुर
www.cmgupta.blogspot.com
माफी चाहूँगा, आज आपकी रचना पर कोई कमेन्ट नहीं, सिर्फ एक निवेदन करने आया हूँ. आशा है, हालात को समझेंगे. ब्लागिंग को बचाने के लिए कृपया इस मुहिम में सहयोग दें.
क्या ब्लागिंग को बचाने के लिए कानून का सहारा लेना होगा?
भावुक मन को बड़े ही सुन्दर ढंग से बांध कर यहाँ शब्दों में अभिव्यक्ति दे दी है आपने....सुन्दर रचना...
बहुत बढिया व बेहतरीन लिखा है।्बधाई।
बरसो बरस साथ देने का वादा करने वाले
कुछ ही पल में अकेला छोड़ जाते है \
बरसो बरस साथ देने का वादा करने वाले
कुछ ही पल में अकेला छोड़ जाते है \
sach hai
बरसो बरस साथ देने का वादा करने वाले
कुछ ही पल में अकेला छोड़ जाते है
bhaavpurn abhivyakti..
bas yun hi ..kuchh shbd gahan bhaav shbdon ko de jate hain.
असहज मन का एहसास करती सुन्दर काव्य रचना ।
निर्मला जी कमाल की रचना है । दिल को बेचैन कर गई । खास कर ये
वो छोड़ जाते है रोनके
हम तो शून्य भी साथ ले जाते है |
वो छोड़ जाते है रोनके
हम तो शून्य भी साथ ले जाते है |
कहने को जिन्दगी हंसती रही
पर आँखों में आंसू तैर जाते है |
बहुत अच्छे........... बेहतरीन अनुभूति ..हर एक शब्द मन को स्पर्श करता है.
mausi bauth achhi kavita hai...
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