आवाज
इन पन्नो पर लिखते रहें
अफसाने
सुबह शाम के हम ,
इन पन्नो पर लिखते रहें
अफसाने
सुबह शाम के हम ,
एक दिन जरुर पढ़े जायेगें हम ...
इन कानो से सुनते रहें
चहचहाना पंछियों का
चहचहाना पंछियों का
सुबह शाम हम
एक दिन उनसे
संवाद कर जायेगे हम .......
विचारो से
उनकी हस्ती न मिटाये
तो ही अपनी
हस्ती बना पायेंगें हम .......
3 टिप्पणियाँ:
मन की आवाज सुनी जायेगी, एक दिन..
Bahut Hi Sunder
विचारो से
उनकी हस्ती न मिटाये
तो ही अपनी
हस्ती बना पायेंगें हम .......
क्या खूब लिखा है वाह शोभना जी ।
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