कविवर रविंद्रनाथ टैगोर की कविता की पंक्तिया है
"त्राण कर ये प्रार्थना नहीं , मेरी तैरने की शक्ति बनी रहे "।
हमेशा मेरी प्रार्थनाओ की आधार रही है ये पंक्तिया ।उन्ही का स्मरण करते हुए कुछ भाव आये है मन में ।
अपनों पर, अपनों का दंभ,
सहने की शक्ति बनी रहे ।
आहत न हो मेरी वाणी से
अपने
मेरी वाणी की मर्यादा बनी रहे|
"त्राण कर ये प्रार्थना नहीं , मेरी तैरने की शक्ति बनी रहे "।
हमेशा मेरी प्रार्थनाओ की आधार रही है ये पंक्तिया ।उन्ही का स्मरण करते हुए कुछ भाव आये है मन में ।
अपनों पर, अपनों का दंभ,
सहने की शक्ति बनी रहे ।
आहत न हो मेरी वाणी से
अपने
मेरी वाणी की मर्यादा बनी रहे|
3 टिप्पणियाँ:
आमीन !
काश सभी ये प्रार्थना करें और सबकी प्रार्थना सुनी जाये।
काश ये हर किसिस के साथ सच हो ... आमीन
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