Thursday, March 07, 2013

कुछ यू ही ....

कविवर रविंद्रनाथ टैगोर की कविता की पंक्तिया है
"त्राण कर ये प्रार्थना नहीं , मेरी तैरने की शक्ति बनी रहे "।
हमेशा मेरी प्रार्थनाओ की आधार रही है ये पंक्तिया ।उन्ही का स्मरण करते हुए कुछ भाव आये है मन में ।
अपनों पर, अपनों का दंभ,
सहने की शक्ति बनी रहे ।
आहत न हो मेरी वाणी से

 अपने
मेरी वाणी की मर्यादा बनी रहे|








3 टिप्पणियाँ:

वाणी गीत said...

आमीन !

प्रवीण पाण्डेय said...

काश सभी ये प्रार्थना करें और सबकी प्रार्थना सुनी जाये।

Coral said...

काश ये हर किसिस के साथ सच हो ... आमीन