अतीत कितना खूबसूरत होता है ये हर लेखक या हर व्यक्ति महसूस करता है और अपनी अभिव्यक्ति अभिव्यक्त करता है अपने अपने माध्यम से ऐसा ही एक दौर ब्लॉग का हुआ करता था जब हम समाज ,घर ,आँगन अपने आसपास हुए रोजमर्रा के भावो व्यक्त किया करते थे। साथ ही यात्रा संस्मरण ,पारिवारिक संस्मरणों का आनंद लिया करते थे। आज फेसबुजैसे माध्यम ने हमे सिर्फ राजनितिक हलचल तक सिमित कर मनभेद की ओर अग्रसर कर दिया है, और ब्लॉग लेखन अतीत हो गया है।
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2 टिप्पणियाँ:
हां दीदी...मैं तो आजकल बस ब्लॉग पर ही टहलती हूं.
फेसबुक अपनी जगह है ब्लॉग अपनी जगह। . लिखते रहिये ब्लॉग पर.
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