Thursday, May 14, 2009

राम के नाम पर

राम कथा चल रही थी
रामजी को तो
वन में भेज दिया
कथाकार ने ,
बाकी कि कथा पर
नाचने लगे लोग |

रामलीला चल रही थी
दशहरे पर |
रामजी को तो भेज दिया ,
आयोजको ने
रावण को मारने
यहाँ लीला को देखकर ,
झूमने लगे लोग |

एक बुजुर्ग की
बड़ी मुद्दत से तमन्ना थी
रामराज्य बनाने की ,
रामजी को तो बैठा दिया
मन्दिर में ,
उनके रथ में बैठकर
राज्य करने लगे लोग |

शोभना चौरे

6 टिप्पणियाँ:

Kavi Kulwant said...

maza aa gaya..wah...

अमिताभ श्रीवास्तव said...

अरे वाह बहुत सुन्दर तरीके से आपने अपनी मंशा को अभिव्यक्त किया है. ..
बधाई की पात्र है आप.
थोड़े दिनों बाद आया आपके ब्लॉग पर, किन्तु ज्यादा देर भी नहीं हुई, सिर्फ दो पोस्ट नई है. इधर कुछ ज्यादा व्यस्तता है लिहाज़ा ब्लॉग भ्रमण नहीं हो पा रहा है. ..फिर भी आपके ब्लॉग पर आना नहीं छोदुँगा.

दिगम्बर नासवा said...

वाह.......क्या हास्य और व्यंग का मिश्रण ...........
बहुत जोरदार लिखा है

Vinay said...

बहुत ही उम्दा अंदाज़े-बयाँ

RAJNISH PARIHAR said...

बिलकुल सच कहा आपने यही सब होता है आजकल राम के नाम पर...

प्रसन्नवदन चतुर्वेदी 'अनघ' said...

राम के नाम पर आजकल यही होता है... बहुत सुन्दर तरीके से आपने अभिव्यक्त किया है. ..