रक्षा बंधन के पवित्र अवसर पर सभी भाई बहनों को हार्दिक बधाई एवम शुभकामनाए |
जो इन कुछ सालो में महसूस किया है उसे ही लिख दिया है |
राखी के चमकीले बाजार में
रिश्तो की गर्माहट
कहीं खो गई है
मिठाइयों से भरे बाजार में
रिश्तो की मिठास
कहीं खो गई है
उपहारों से अटे हुए
बाजारों में
नेग और शगुन की रस्म
कहीं खो गई है
एकल परिवार की
विवशता में
भाई -बहनकी
जोड़ी
कहीं खो गई है
वंश बढ़ाने की चाह में
बेटी
कहीं कहो गई है
इसीलिए
भाई की सुनी कलाई
रो रही है
तो आओ स्नेह के बंधन को
पुनर्जीवित कर
रिश्तो की मिठास से
आत्मसात कर लें
बेटियों को
इस धरती की
रौनक बनाकर
स्नेह के बंधन को
और मजबूत कर लें ..........
Tuesday, August 04, 2009
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14 टिप्पणियाँ:
शोभना जी
भाई और बहन का प्रेम शाश्वत प्रेम है। रक्षाबंधन के दिन यही प्रेम दिल में धडकता है। यह सत्य है कि हमने आर्थिक कारणों से दूरियां बना ली हैं लेकिन हाथ की सूनी कलाई बहन की याद तो दिला ही देती है। यही है भारत जहाँ हम बहन के इसी शाश्वत प्रेम को तलाशते हैं न कि वेलेण्टाइन डे के रूप में वासनामय प्रेम को।
बाज़ार के हस्तक्षेप और बदलते समय ने किस तरह कुछ बेहद खूबसूरत रिश्तों में भी सेंध लगानी शुरू कर दी है इसका अच्छा चित्र.
बधाई.
शोभना जी,
प्रणाम, बहुत ही अच्छा लेख लिखा है आपने, भाई बहिन के प्यार को शायद आज हम बस उपहारों में ही तोल के देखते हैं, समझ जी ज़रूरत है बस!
धन्यवाद.
दिल को छूने वाला लिखा है.............. आप को और सब भाई बहनों को रक्षाबंधन की हार्दिक शुभकामनायें...........
तो आओ स्नेह के बंधन को
पुनर्जीवित कर
रिश्तो की मिठास से
आत्मसात कर लें
....aameen
shobhanaji ,,aapki kavita kahti hai aaj ke rishto ki vytha ,samaaj samaradha hote ja rahe ,parivar aour chote hote ja rahe ,richte chutte ja rahe ,aadmi is choti si duniya me akela hote ja raha hai ,,,,,,,,,, kamana mumbai.
bahut sundar rachana is parv pe .
बडी ही खूबसूरती के साथ आपने बहुत बडा सच सामने रखा है. रिश्तों की गरमाहट भी अब बीते दिनों की याद सी हो गई है.
ज़िन्दगी की तल्ख़ हकीकत का बहुत बेबाकी से आपने जिक्र किया है...वाह...सच्ची बात कही है आपने अपनी रचना में...
नीरज
बहुत ही ख़ूबसूरत रचना लिखा है आपने शोभना जी! रक्षाबंधन तो एक बहुत ही मीठा त्यौहार है जिसे आपने बड़े ही सुंदर रूप से लिखा है!
मिठाइयों से भरे बाजार में
रिश्तो की मिठास
कहीं खो गई है
दिल को छू गयी यह पोस्ट। बधाई!
Dil men utar gayee aapki rachnaa.
{ Treasurer-T & S }
शोभना जी,
व्यवसायी करण ने रिश्तो पर भार रख दिया है पर भावनाएं अमित है..
बहुत सुन्दर लिखा है आपने...
बधाई..!
बहुत सुन्दर!
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