गरीब कहाँ है ?
शायद यहाँ है
कवि की कविताओ में ,
नेताओं के भाषण में ,
स्वयम सेवी संस्थाओं के कागजो में ,
सरकारी रिपोर्टों में
या कि
आन्दोलन कर्ताओं की प्रसिद्धि में ,
और ऐसे कितने ही आयामों
में गरीब बसता है ,
या बसाया जाता है
या कि
जैसे
सत्ता उस सर्वशक्तिमान की
तरह
हमने एक काल्पनिक
खांका बनाया है
पूजने के लिए
गरीबी का ?
शायद यहाँ है
कवि की कविताओ में ,
नेताओं के भाषण में ,
स्वयम सेवी संस्थाओं के कागजो में ,
सरकारी रिपोर्टों में
या कि
आन्दोलन कर्ताओं की प्रसिद्धि में ,
और ऐसे कितने ही आयामों
में गरीब बसता है ,
या बसाया जाता है
या कि
जैसे
सत्ता उस सर्वशक्तिमान की
तरह
हमने एक काल्पनिक
खांका बनाया है
पूजने के लिए
गरीबी का ?
7 टिप्पणियाँ:
यहीं है गरीब ...तभी तो आज तक गरीबी ही है ....
सच में ..निकलता ही नहीं वहां से .
सही है.
सच कहती कविता .
हमने एक काल्पनिक
खांका बनाया है
पूजने के लिए
गरीबी का ?
गरीब के बारे में सोचने का समय ही कहाँ है आजके देश के कर्णधारों के पास.
राजनीति में ग़रीबी बड़ी लाभकारी होती है।
जान कर के गरीब का नाम लिया जाता है .. उन पर भी राजनीति करते हैं ये नेता ....
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