Wednesday, April 29, 2009

अपनी बात


हमारा जीवन ही पाठशाला है, और कई बार हमारे साथ इतने सुखद अनुभव होते हैं की वो हमारी अंतरआत्मा बस जाते हैंऔर अनजाने ही में वे हमारी प्रेरणा बन जाते हैं बात कुछ चार या पांच साल पुराणी होगी .. मैं तब अपने घर के आसपास कचरा बीनने वाले बच्चों,अपने आसपास नए घर बनाने वाले मजदूरी कर रहे मजदूरों के बच्चों को इकठ्ठा कर उन्हें प्रतिदिन ,एक से दो घंटे पदाने , साफ़ सफाई रखने आदि प्राथमिक चीज़ें बताती थी फिर उन्हें पास ही सरकारी पाठशालाओं में प्रवेश दिलवाने में मदद करती थी इसके लिए उनके माता पिता को राजी करना ,बड़ी टेडी खीर थी खैर वो बात अलग है... इसी दौरान मेरा परिचय बैंक में कार्यरत एक बहन से हुआपरिचय के आदान-प्रदान के दौरान मैं उन्हें अपनी उपलब्धियां गिनानने की कोशिश कर रही थीएक बार मिलने पर उनसे बात करना बहुत अच्छा लगा हमने एक-दुसरे के फ़ोन नंबर आदि लिए .फिर काफी दिनों बाद ,वो मुझे सिटी बस में मिली मेरे आग्रह पर ,मेरे साथ वो घर आई और बड़े संकोच से बोली -- मैं अपने घर अपनी किसी सहेली को भी नहीं बुला सकती क्यूंकि मेरी दादी-सास जात-पात को बहुत महत्व देती है और न ही उन्हें मेरा मेल-जुल किसी से पसंद है नौकरी भी जिन हालत में कर रही हूँ, सिर्फ उनकी शर्तों पर फिर इधर-उधर की बातें हुई ,बातों ही बातों में जिक्र निकल आया ,उन्होंने अपने कामवाली की बेटी की प्राईमरी स्कूल से लेकर,स्नातक की पदाई के लिए ,आर्थिक,शारीरिक ,और मानसिक रूप से सहयोग दिया एक ऐसे वातावरण में जहा इनको स्वयं जीने के लिए खुली सांस नहीं थी उस लड़की के एम्.एस सी के प्रवेश के लिए कॉलेज की प्रिंसिपल से मिलने वो बैंक से छुट्टी ले कर गयी थी ताकि उस लड़की को छात्र-वृत्ति दिला सके और उसकी पाठ्य-सामग्री की उचित व्यवस्था हो सके उनकी इच्छा थी वो लड़की ,पि एच डी कर एक वैज्ञानिक बने



उसके बाद मेरा उस शहर में रहना भी कम हो गया और उन से कभी संपर्क भी नहीं कर पाई किन्तु उनके ईस खामोशी से किये गए कार्य से मेरा हृदय ,उनके आगे नतमस्तक हो गया और मेरे मन ने उनके लिए येही शुभकामना की कि उनका शुभ-संकल्प पूरा हो और मुझे भी जीवन में कुछ विशिष्ट काम करने कि प्रेरणा मिले

4 टिप्पणियाँ:

जयंत - समर शेष said...

सत् कर्म कभी व्यर्थ नहीं जाते,
चलते जा सुख के बीज बोते...

अच्छा काम करने के लिए मेरा आपको नमन..

~जयंत

कडुवासच said...

... सुन्दर व प्रभावशाली अभिव्यक्ति !!!

अमिताभ श्रीवास्तव said...

shobhnaji,
meri hi chaar pankti is karya ke liye aapko samarpit-
" alas tyaag jo kooda, jivan ke ran me
bhagya lot lagata, mere path, kan kan me. "
apni baat ke liye,
saadhuvaad, shubhkamnaye.

Urmi said...

आपकी सुंदर टिपण्णी के लिए धन्यवाद!
शोभना जी बहुत खूब लिखा है आपने!