रामनारायण उपाध्याय  दादाजी कहा करते थे  लिखी हुई  रचनाओ  को  संग्रहित कर उनको पुस्तक के रूप में प्रकाशित करना ठीक वैसा हि है जैसे अपनी  पुत्री का विवाह करना |जिस तरह अपनी पुत्री के विवाह में माता पिता अपने   साथ साथ पूरा परिवार का  सानिंध्य पाते    है ,उसी तरह मेरा पहला काव्य संग्रह  "शब्द भाव "प्रकाशित करने में मेरे संपूर्ण परिवार का सहयोग रहा है |
हाँ जी हाँ---
आप सब लोग भी इसी परिवार में शामिल है | आप सभी के अनमोल भावो को आत्मसात करते हुये ही मेरी लेखनी को विस्तार मिला और यह भाव ही एक किताब का रूप लेने में समर्थ हो पाया |अनेकानेक धन्यवाद |
और प्रकाशन का भार" निमांश " (पोता )ने संभाला उसे खूब प्यार एवम आशीर्वाद |

हाँ जी हाँ---
आप सब लोग भी इसी परिवार में शामिल है | आप सभी के अनमोल भावो को आत्मसात करते हुये ही मेरी लेखनी को विस्तार मिला और यह भाव ही एक किताब का रूप लेने में समर्थ हो पाया |अनेकानेक धन्यवाद |
मेरी बड़ी बहू" श्वेता "जिसने नौकरी करते भी मुझे  घर के कार्यो से मुक्त  रखा मेरे लिये सहयोगी रखकर यः   कहकर कि मम्मी आप आप अब अपने रुके हुये  कार्यो को पूरा किजीये |मेरी छोटी बहू" नेहा "जिसने मुझे नेट का a.b.c  सिखाया मुझे ब्लाग लेखन के लिये उत्साहित कर मेरा  ब्लाग  बनाकर मुझे  सही  मायनो में अभिव्यक्ति  प्रदान की| "क्षितीज" बडे बेटे ने किताब को छ्पवाने की जिम्मेवारी  लेकर उसे  निभाने के फलस्वरूप ही किताब सबके सम्मुख आ पाई है | "निमिष " छोटा बेटा इन सबका सूत्रधार बना |इन सबको अनेकानेक  आशीर्वाद |
   "शब्द भाव" का श्रीगणेश तो श्रीमान चौरे साहब के हाथो ही  हुआ  विध्नहर्ता  की तरह वो हमेशा मेरे साथ ही रहे |और प्रकाशन का भार" निमांश " (पोता )ने संभाला उसे खूब प्यार एवम आशीर्वाद |
   एक आम गृहिणी की पुस्तक की भूमिका लिखने के लिए  मूर्धन्य साहित्यकार एवं प्रगतीशील  विचारो से समाज को नई दिशा प्रदान   करने वाले आदरणीय" कृष्णकांत  निलोसेजी "का मै हृदय  से आभार मानती हू |
उन्होने अपनी भूमिका में लिखा है

उन्होने अपनी भूमिका में लिखा है
शिक्षक दिवस के शुभ अवसर पर  आदर्श शिक्षिका (निजी पाठशाला )से सम्मानित ,पत्रकारिता महाविद्यालय  में  अध्यापिका ,और शिक्षा प्रद  लेखन में अग्रणी श्रीमती "श्रीती राशिनकर" ने स्नेहवश  जो पुस्तक में भूमिका लिखी है वो अमूल्य  है वो मुझे दीदी कहती है अत;  उन्हे स्नेहाशीष |
श्रीति "शब्द भाव "की भूमिका में लिखती है
श्रीति "शब्द भाव "की भूमिका में लिखती है
  विवाह की सारी योजना बन गई सारे काम बंट गये कितु मांडनो (स्वस्तिक ) के  बिना कोई शुभ कार्य असंभव है और इसी शुभ कार्य को आरंभ और  अर्थपूर्ण बनाने के लिये विख्यात चित्रकार , पेशे से सिविल  इंजिनियर
पेशे से सिविल  इंजिनियर
 पेशे से सिविल  इंजिनियर
पेशे से सिविल  इंजिनियरआवरण प्रष्ट के रचयिता भी संदीपजी ही है |
संदीपजी के५७ रेखांकन जो मेरी ५७ कविताओ जीवंत बनाते है |
Save Now
इस सुन्दर साज सज्जा के साथ ,इतनी शुभकामनाओ के साथ ,इतने आशीर्वादो के साथ ,आप सभी ब्लागर  भाई बहनों के सहयोग से मैंने पुत्री का विवाह( कविता संग्रह ) सम्पन्न किया है |विवाह तो सम्पन्न हो गया अब विदाई (विमोचन ) की बारी |घर के सबसे बड़े  सदस्य श्वसुर तुल्य काका ससुर    और पिता तुल्य मेरे  मेरे काकाजी के  आशीर्वाद से असीम ख़ुशी प्राप्त हुई
 आदरनीय काकाजी श्री गोरीशंकर चौरे (अमेरिका )
आदरनीय काकाजी श्री गोरीशंकर चौरे (अमेरिका )
 पूज्य काकाजी श्री रमेश उपाध्याय (इंदौर )
पूज्य काकाजी श्री रमेश उपाध्याय (इंदौर )
अनोखा विमोचन
 दादी की किताब का विमोचन (बेंगलोर )
दादी की किताब का विमोचन (बेंगलोर )
अनोखा विमोचन
कोई गलती हो तो क्षमा चाहती हूँ और आशा करती हूँ आप सब " शब्द भाव" स्वीकार करे |
धन्यवाद |
 
 
