बहुत सी बाते दिमाग में चलती रहती है , सन 2008 में जब ब्लॉग लिखने की शुरुआत की थी तब ये विचार व्यक्त किये थे कविता के माध्यम से, उसमे से कितनी बाते आज भी उतनी ही प्रासंगिक लगती है और कितनी बातो के परिणाम भी देखने को मिल गये है जैसे -आसाराम का पाखंड उजागर होना। टेलीविजन का सच आदि अदि।अभी अभी हम गणतंत्र दिवस मना के बैठे है और लगा कि तंत्र के क्या हाल है ,क्या हाल हो गया है ?
गणतंत्र दिवस के बाद कुछ सकल्प ऐसे हो.......
.नेता लोग भाषण देना छोड़ दे |
कवि लोग ताना देने वाली कविता करना छोड़ दे|
मौसम विभाग मौसम की भविष्य वाणी करना छोड़ दे |
धर्म गुरु उपदेश देना छोड़ दे |
इन्सान सपने देखना छोड़ दे|
टेलीविजन समाचार चैनल सनसनी फैलाना छोड़ दे |
टेलीविजन पर धार्मिक सीरियल दिखाना छोड़ दे |
अखबारों के संपादक सच लिखना छोड़ दे |
भारत के लाखो, करोडो श्रद्धालु प्रवचनों में जाना छोड़ दे |
गरीबी ,अशिक्षा और बेरोजगारी के नाम पर ,
राजनीती करने वालो,
क्रप्या राजनीती करना छोड़ दे |
माँ बाप अपनी बहू बेटियों को ,बच्चो को
टेलीविजन के रियलिटी शो में भेजना छोड़ दे
अर्थशास्त्री बाजार के उतर चढाव की ,
भविष्यवाणी करना छोड़ दे |
ज्योतिषी जीवित रहने के उपाय बताना छोड़ दे |
और अगर हो सके तो शिक्षक कोचिंग क्लास चलाना छोड़ दे |
शोभना चौरे
कवि लोग ताना देने वाली कविता करना छोड़ दे|
मौसम विभाग मौसम की भविष्य वाणी करना छोड़ दे |
धर्म गुरु उपदेश देना छोड़ दे |
इन्सान सपने देखना छोड़ दे|
टेलीविजन समाचार चैनल सनसनी फैलाना छोड़ दे |
टेलीविजन पर धार्मिक सीरियल दिखाना छोड़ दे |
अखबारों के संपादक सच लिखना छोड़ दे |
भारत के लाखो, करोडो श्रद्धालु प्रवचनों में जाना छोड़ दे |
गरीबी ,अशिक्षा और बेरोजगारी के नाम पर ,
राजनीती करने वालो,
क्रप्या राजनीती करना छोड़ दे |
माँ बाप अपनी बहू बेटियों को ,बच्चो को
टेलीविजन के रियलिटी शो में भेजना छोड़ दे
अर्थशास्त्री बाजार के उतर चढाव की ,
भविष्यवाणी करना छोड़ दे |
ज्योतिषी जीवित रहने के उपाय बताना छोड़ दे |
और अगर हो सके तो शिक्षक कोचिंग क्लास चलाना छोड़ दे |
शोभना चौरे