तुमने देखा है मुझे
हरा भरा
वो मेरा सिंगार
किया था प्रकृति ने
मेरी छाँव में
सुख पाया ऐसा तुम कहते हो
मैंने तुम्हारी भूख मिटाई
ऐसा भी तुम ही कहते हो
अनगिनत वर्षो से जिया
तुम्हारे लिए
ऐसा भी तुम ही कहते हो
आज थक गया हूँ
झुर्रियां दिखने लगी है
बेतहाशा मेरी
फिर भी मैं
झुका नहीं
क्योकि तुमने
ही मुझमे प्राण फूंके
यह कहकर
कि
ठूंठ का भी
अपना सौंदर्य होता है।
शोभना चौरे