महिलाओ की योग्यता को ,उनके मेहनताने को हमेशा पुरुषों की अपेक्षा हर क्षेत्र में कमतर आंका जाता है |
और अगर कही वो पुरुषो से ज्यादा कमाती है तो उसे गर्व का नही तानो का
पुरस्कार मिलता है ।आज हर क्षेत्र में उसने अपनी योग्यता मेहनत से लगन से
मुकाम हासिल किया है, जिसमे कई सुर्खियों में है और कितनी ही महिलाये
चुपचाप सृजन कर समाज में अपना महत्वपूर्ण योगदान दे रही है | इसमें
कई छोटे छोटे गाँव से आकर बड़े शहरों के घरो में काम
करके अपने बच्चों का पालन पोषण कर रही है बच्चे गाँव में रहकरअपने ने
दादा दादी ,नाना नानी के पास प ढ़ते है और कम खर्चे में पढाई हो जाती है
।इसमे ज्यादातर महिलाये ऐसी होती है जिनके आदमियों की कोई नियमित कमाई
नहीं होती ,या जो अपनी पत्नी बच्चों को ,घरबार छोड़कर चले गये होते है और
जो विधवा है एक कमरे में दो तीन महिलाये साथ में रहकर कम खर्चे में अपना
गुजारा करती है ॥
बहुत सालो पहले पुरुष शहर आते थे कमाने | आज भी आते है ।
ऐसी महिलाये शहरी घरो की ,कामकाजी महिलाओं की मेरुदंड है और उनके इस मेहनत का प्रतिसाद है |
आदमी कहने लगे है- हमे काम नहीं मिलता महिलाओं को काम जल्दी मिल जाता
है और इसका फायदा उन्होंने उठाना शुरू कर दिया की उन्हें भी अपने साथ शहर
ले आये बराबरी के लिए .....