दो सामानांतर
रेखाओ को
काटती है
है एक
खड़ी लकीर |
ऐसा तुम !
कई बार कह चुके हो|
मै खोज में हूँ ?
वो अद्रश्य
खड़ी लकीर कहाँ से आई ?
तुम्हारी ख़ामोशी
मेरी ख़ामोशी
समानांतर
रेखा
तो नहीं ?
बहुत कुछ छिपाने की
तुम्हारी
ख़ामोशी
मेरे खालीपन की
ख़ामोशी को
समानांतर
कैसे मान लिया ?
Monday, September 05, 2011
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